जी-20 शिखर सम्मेलन क्या है?| संरचना, कार्यप्रणाली और सदस्यता-नोट्स

G20 Summit, Structure and Functioning, Members-Notes

जी-20 शिखर सम्मेलन, 20 देशों का एक अंतरसरकारी मंच है। जिसमें 19 देश और यूरोपीय संघ शामिल हैं। जी-20 शिखर सम्मेलन (G-20 summit) वैश्विक अर्थव्यवस्था से संबंधित प्रमुख मुद्दों, जैसे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय स्थिरता, जलवायु परिवर्तन शमन, और सतत विकास को संबोधित करने के लिए काम करता है। यह विषय परीक्षार्थियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, यहाँ हम G-20 शिखर सम्मेलन पर MCQ सहित महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे हैं। कृपया ब्लॉग के साथ बने रहें।

जैसा कि हम पहले से ही जानते हैं कि G-20 (ग्रुप ऑफ़ ट्वेंटी) एक अंतर-सरकारी मंच है और अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है। यह सभी प्रमुख अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मुद्दों पर वैश्विक वास्तुकला और शासन को आकार देने और मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भारत 1 दिसंबर 2022 से 30 नवंबर 2023 तक G20 की अध्यक्षता करेगा।

जी-20 का मतलब क्या है?
G-20 अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का प्रमुख मंच है, बीस का समूह (G-20) है जो वैश्विक अर्थव्यवस्था को सामने आने वाली महत्वपूर्ण चुनौतियों के माध्यम से चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

G-20 की स्थापना कब हुई थी?
G-20 की स्थापना एशियाई वित्तीय संकट के बाद वर्ष 1999 में हुई थी।
G-20 के मंच की स्थापना का उद्देश्य क्या था?
G-20 मंच की स्थापना एशियाई वित्तीय संकट के बाद 1999 में वैश्विक आर्थिक और वित्तीय मुद्दों पर वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों की वैश्विक चर्चा के लिए की गई थी।

G-20 की सदस्यता किस प्रकार की है?
G-20 की सदस्यता में दुनिया की सबसे बड़ी उन्नत और उभरती हुई अर्थव्यवस्थाओं का एक साथ मिश्रण शामिल है। G20 की सदस्यता विश्व GDP के 80% से अधिक, अंतर्राष्ट्रीय व्यापार के 75% और विश्व जनसंख्या के 60% का प्रतिनिधित्व करती है।

G20 के सदस्य कौन हैं?
G20 के सदस्य अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, कोरिया गणराज्य, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम, यूएसए और यूरोपीय संघ हैं।
स्पेन भी एक स्थायी, गैर- आमंत्रित सदस्य के रूप में शिखर सम्मेलन में भाग लेता है।

G20 कैसे काम करता है?
G20 के कार्यक्षेत्र को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है –
01) वित्तीय भाग
02) शेरपा भाग
वित्तीय भाग – वित्तीय भाग में सदस्य देशों के वित्त मंत्रियों और उनके केंद्रीय बैंक के गवर्नरों या उनके प्रतिनिधि के साथ सभी बैठकों में समान अवसर प्रदान करने के लिए G20 द्वारा वित्त भाग में निभाई जाने वाली विशेष भूमिका हैं । ये बैठकें पूरे वर्ष निरंतर रूप से होती रहती हैं, जिसका उदेश्य मौद्रिक और राजकोषीय मुद्दों, वित्तीय विनियमों आदि पर केंद्रित होता हैं।
शेरपा भाग – . शेरपा भाग सदस्य देशों के बीच राजनीतिक जुड़ाव, भ्रष्टाचार-विरोधी विचारधारा, विकास, ऊर्जा आदि व्यापक मुद्दों पर केंद्रित करना है। प्रत्येक G20 सदस्य देश का प्रतिनिधित्व उनके संबंधित देश के नेता की ओर से उनके शेरपा द्वारा किया जाता है, जो योजना, मार्गदर्शन, कार्यान्वयन आदि करने में सहायक रहते हैं।

G20 अस्तित्व में कैसे आया?
G20 के अस्तित्व के लिए तीन मुख्य बिंदु जिम्मेदार हैं –
01) 1997 से 1999 तक एशियाई वित्तीय संकट – एशियाई वित्तीय संकट जुलाई 1997 में शुरू हुआ, जब थाईलैंड ने बाजार के निचले स्तर के दबाव के कारण महीनों के बाद अपनी मुद्रा बाहट (Baht) का बचाव करना बंद कर दिया। जिससे उसकी मुद्रा तेजी से गिर गई। देखते देखते अन्य देशों पर भी इसका असर पड़ा। एशियाई वित्तीय संकट के बाद G7 फोरम ने एक मंत्रिस्तरीय मंच का आयोजन किया और विकसित और विकासशील दोनों देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों को आमंत्रित किया। जिस कारण G20 का विचार अस्तित्व में आया और 1999 में इसकी बैठक शुरू हो गई।
02) 2008 के वित्तीय संकट के बाद – 2008 के वित्तीय संकट के बाद दुनिया को उच्चतम राजनीतिक स्तर पर एक नई आम सहमति निर्माण की आवश्यकता का एहसास हुआ और यह निर्णय लिया गया कि G20 के नेता साल में एक बार बैठक शुरू करेंगे।
03) शिखर सम्मेलन की तैयारी में मदद करने के लिए – G20 सदस्य देशों के वित्त मंत्री और केंद्रीय बैंक के गवर्नर साल में दो बार अपने आप मिलने लगे। वे उसी समय मिलते हैं जब अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व बैंक की बैठक होती थी।

G20 शिखर सम्मेलन की संरचना और कार्यप्रणाली क्या है?
अध्यक्ष पद का बदलाव – G20 की अध्यक्षता सालाना बदलती है जिसे एक प्रणाली के अनुसार जो समय के साथ एक क्षेत्रीय संतुलन सुनिश्चित करता है।
समूहों का गठन – अध्यक्षता की चयन प्रक्रिया के लिए, G20 के सभी सदस्य देशों को 5 समूहों में विभाजित किया गया है, प्रत्येक समूह में 4 सदस्य देश होते हैं और अध्यक्षता वार्षिक आधार पर इन पांच समूहों के बीच घूमती है। सरल शब्दों में हर साल G20 के सदस्य नए अध्यक्ष पद के लिए दूसरे समूह से एक देश का चयन करते हैं। (भारत समूह 2 का सदस्य है और समूह के अन्य सदस्य देश रूस, दक्षिण अफ्रीका और तुर्की हैं।)
कोई स्थायी मुख्यालय नहीं – G20 का मुख्यालय स्थायी नहीं है। इसके बजाय सदस्य देश जिसे अध्यक्षता के रूप में चुनते है। अध्यक्ष परामर्श के लिए और वैश्विक अर्थव्यवस्था में विकास के लिए G20 के अन्य सदस्य देशों के बीच एजेंडे को एक साथ लाने के लिए जिम्मेदार होता है।
ट्रोइका प्रणाली (TROIKA system) – प्रत्येक वर्ष जब कोई नया देश G20 के नए अध्यक्षता के रूप में कार्यभार ग्रहण करता है और नए अध्यक्ष का यह कर्तव्य होता है कि वह पिछले अध्यक्ष पद के सदस्य देश और आने वाले अध्यक्ष पद के सदस्य देश के साथ मिलकर काम करे। इस सामूहिक प्रक्रिया को ट्रोइका प्रणाली के रूप में जाना जाता है। तूइका प्रणाली की यह प्रक्रिया शिखर सम्मेलन के एजेंडे को निरंतरता और स्थिरता सुनिश्चित करने में मददगार सिद्ध होती है।

किस प्रकार के मुद्दे G20 द्वारा संबोधित किए जाते हैं?
जी20 का सदस्य देश वैश्विक महत्व के मुद्दों के एक व्यापक एजेंडे पर ध्यान केंद्रित करते है, हालांकि, वैश्विक अर्थव्यवस्था से संबंधित मुद्दे एजेंडे पर हावी रहते हैं। लेकिन हाल के कुछ वर्षों में निम्नलखित मुद्दे अधिक महत्वपूर्ण हो गए हैं जैसे –

  • वित्तीय पहलुओं पर चर्चा करना और नीतियां बनाना।
  • कर और राजकोषीय पहलुओं पर नीतियों पर विचार करना।
  • व्यापार और ऊर्जा के विकास के पहलू पर विचार करना।
  • कृषि और रोजगार सृजन कार्यक्रम के लिए विकास नीतियों पर विचार करना।
  • भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई और आतंकवाद विरोधी नीतियों के विकास के लिए संयुक्त अभियान जारी करना।
  • महिला विकास के लिए नीतियों में प्रगति और नौकरी बाजार में सुरक्षा प्रदान करने पर विचार करना।
  • जलवायु परिवर्तन में सतत विकास के मुद्दे पर विचार करना।
  • वैश्विक स्वास्थ्य कार्यक्रम के विकास के लिए पहल करना और सम्बंधित मुद्दे पर विचार करना।

भारत के लिए G20 शिखर सम्मेलन में प्राथमिकता एजेंडा क्या हैं?
G20 शिखर सम्मेलन में भारत के लिए बहुत सारे महत्वपूर्ण एजेंडे हैं लेकिन कुछ महत्वपूर्ण एजेंडे नीचे दिए गए हैं –
01) कर चोरी की जाँच के लिए भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई।
02) आतंकवाद के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले धन का गला घोंटना।
03) प्रेषण की लागत में कटौती
04) प्रमुख दवाओं के लिए सुलभ बाजार
05) बेहतर व्यापार कार्यप्रणाली के लिए विश्व व्यापार संगठन के सुधारों को लागू करें
06) जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते का “पूर्ण कार्यान्वयन”।

G20 शिखर सम्मेलन के साथ अंतरराष्ट्रीय सहयोग और जी20 सदस्य देशों के साथ सहयोग
इसमें कोई संदेह नहीं है कि जी20 के अस्तित्व और जी20 के सदस्य देशों द्वारा लिए गए निर्णयों को अन्य अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा मान्यता, समर्थन और सहयोग दिया जाता है। नीचे कुछ उदाहरण दिए गए हैं –
01) वैश्विक आर्थिक सहयोग के लिए प्रमुख मंच – 2010 के टोरंटो जी20 शिखर सम्मेलन में नेताओं द्वारा जी20 को वैश्विक आर्थिक सहयोग के लिए एक महतयपूर्ण और प्रमुख मंच घोषित किया।
02) कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा समर्थन प्राप्त – G20 सदस्यों के काम को कई अंतरराष्ट्रीय संगठनों द्वारा समर्थित किया जाता है और नीतिगत सलाह भी प्रदान की जाती है। कुछ अंतर्राष्ट्रीय संगठन इस प्रकार हैं – वित्तीय स्थिरता बोर्ड (FSB) – अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) – अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) – आर्थिक सहयोग और विकास संगठन (OECD) – संयुक्त राष्ट्र संगठन (UNO) – विश्व बैंक – विश्व व्यापार संगठन (WTO)
03) गैर-सरकारी निकायों के साथ जुड़ाव – G20 नियमित रूप से कई गैर-सरकारी निकायों के साथ जुड़ा रहता है जैसे –
a) B20 (बिजनेस 20 वैश्विक व्यापार समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले जी20 का आधिकारिक संवाद मंच है।)
b) C20 (सिविल सोसाइटी 20 G20 के आधिकारिक समूहों में से एक है जो दुनिया भर के सिविल सोसाइटी संगठनों (CSO) के लिए एक मंच प्रदान करता है।)
03) L20 (लेबर 20, G20 के भीतर 6 आउटरीच समूहों में से एक है और G20 स्तर पर श्रमिकों के हितों का प्रतिनिधित्व करता है।)
04) टी20 (थिंक20, जी20 का एक आधिकारिक जुड़ाव समूह है। यह थिंक टैंक और उच्च-स्तरीय विशेषज्ञों को एक साथ लाकर जी20 के लिए एक ‘विचार बैंक’ के रूप में कार्य करता है।)
05) Y20 (यूथ 20 सभी G20 सदस्य देशों के युवाओं के लिए एक दूसरे सदस्यों के साथ संवाद करने में सक्षम होने के लिए एक आधिकारिक परामर्श मंच है।)

G20 द्वारा सामना की जाने वाली चुनौतियाँ।
G20 शिखर सम्मेलन को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा है जैसे कि
01) प्रवर्तन (enforcement) के लिए कोई तंत्र नहीं – G20 शिखर सम्मेलन के तंत्र का मुख्य आधार सूचनाओं का सरल आदान-प्रदान है। सामान्य लक्ष्यों पर सहमत प्रारंभिक प्रथाओं और समन्वित कार्रवाई पर आधारित है। इसमें से कोई भी लक्ष्यों की प्राप्ति आम सहमति के बिना हासिल नहीं किया जा सकता है और न ही लागू किया जा सकता है। केवल सहकर्मी की समीक्षा और सार्वजनिक उत्तरदायित्व के प्रोत्साहन किया जा सकता है।
02) कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं – G20 20 सदस्यों का एक सलाहकार समूह है यहां पर लिए गए निर्णय, चर्चाए आम सहमति पर आधारित होते हैं। यह निर्णय केवल घोषणाओं के रूप में समाप्त हो जाते हैं लेकिन प्रस्तावित घोषणाएं कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं हो पाती हैं।
03) हितों का ध्रुवीकरण
01) 2022 में होने वाले G20 शिखर सम्मेलन में रूसी और यूक्रेनी राष्ट्रपतियों को आमंत्रित किया गया था जबकि अमेरिका पहले ही रूसी राष्ट्रपति को आमंत्रित नहीं करने की मांग कर चुका था अन्यथा अमेरिका और यूरोपीय देश उनके संबोधन का बहिष्कार करेंगे।
02) चीन का रणनीतिक उदय, नाटो का विस्तार और जॉर्जिया और क्रीमिया में रूस की क्षेत्रीय आक्रामकता के साथ साथ अब रूस यूक्रेन संघर्ष ने वैश्विक प्राथमिकताओं को बदल दिया।
03) वैश्वीकरण (Globalisation) अब एक अच्छा शब्द नहीं रह गया है क्योंकि बहुपक्षीय संगठनों की विश्वसनीयता अब संकट में है।

G20 शिखर सम्मेलन की उपलब्धियां
G20 शिखर सम्मेलन की कुछ उपलब्धियाँ नीचे दी गई हैं –
01) लचीलापन (Flexible) – G20 शिखर सम्मेलन में सदस्यों की सीमा 20 के साथ बनी रहती है इसलिए यह त्वरित निर्णय लेने और नई चुनौतियों के अनुकूल होने के लिए अधिक प्रभावशाली हो सकते है।
02) सम्मिलित करने की प्रवर्ति (Inclusive Tendency) – वैश्विक चुनौतियों का आकलन करने और उन्हें संबोधित करने के लिए आम सहमति बनाने के दौरान हर साल आमंत्रित समूहों, देशों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और नागरिक समाज संगठन के माध्यम से व्यापक परिप्रेक्ष्य की अनुमति रहती है।
03) समन्वित कार्रवाई को बढ़ावा – G-20 शिखर सम्मेलन ने देशों के बीच बेहतर समन्वय सहित अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय नियामक प्रणाली को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
04) ऋण सुविधा देने में वृद्धि – जब विश्व में वित्त के निजी क्षेत्र के स्रोत कम हो गए थे उस समय पर G-20 शिखर सम्मेलन ने बहुपक्षीय विकास बैंकों से 235 बिलियन अमेरिकी डॉलर के ऋण देने में वृद्धि की सुविधा मुहैया कराने में सहायक सिद्ध हुई। इसका मुख्य उद्धरण 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान आपातकालीन धन की त्वरित तैनाती शामिल है।
05) अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार – G-20 अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों की निगरानी और सुधारों को ध्यान रखते हुए राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में सुधार के लिए भी काम करता है।
06) विश्व व्यापार संगठन के अनुमान के अनुसार – G20 ने व्यापार सुविधा समझौते के अनुसमर्थन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है विश्व व्यापार संगठन के अनुमान के अनुसार यदि समझौता पूरी तरह से लागू किया गया तो 2030 तक वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद 5.4% से 8.7% के बीच कहीं योगदान कर सकता है।
07) बेहतर संचार – G20 विश्व में एक बेहतर संचार के माध्यम के रूप में उभरा है क्योंकि चर्चा के माध्यम से निर्णय लेने में आम सहमति और तर्क लाने के लिए दुनिया के शीर्ष विकसित और विकासशील देशों को एक साथ लाता है।
08) प्रतिबद्धता – G20 शिखर सम्मेलन में कार्बन तटस्थता तक पहुंचने की प्रतिबद्धता, रोम घोषणा को अपनाने की प्रतिबद्धता जताई है और साथ साथ पहले ही G20 क्लाइमेट रिस्क एटलस (Climate Risk Atlas) जारी किया गया था जो G20 देशों में जलवायु परिदृश्य, सूचना, डेटा और जलवायु में भविष्य में बदलाव प्रदान करता है।

G20 शिखर सम्मेलन के लिए आगे का रास्ता
G20 शिखर सम्मेलन की आगे की राह के लिए यह हमारा अनुमान है कि –
01) अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का एक महत्वपूर्ण मंच – विश्व की बहुत सारी समस्याएँ हैं लेकिन G20 विश्व की समस्याओं का रामबाण इलाज नहीं माना जा सकता है। लेकिन पिछले 10 वर्षों में, G20 अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का एक महत्वपूर्ण मंच बन गया है। भविष्य में जी20 विश्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
02) प्रभावी वैश्विक शासन – दुनिया में प्रभावी वैश्विक शासन बनाए रखने के लिए और अधिक जी20 प्रकार के संगठनों की आवश्यकता है क्योंकि वैश्विक बढ़ती शक्तियां वैश्विक शासन व्यवस्था को प्रभावित करने के अवसरों की तलाश करती रहती हैं।
03) अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ मजबूत साझेदारी – जी20 को आईएमएफ, ओईसीडी, डब्ल्यूएचओ, विश्व बैंक और विश्व व्यापार संगठन जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ साझेदारी को मजबूत करना चाहिए और उन्हें विश्व की प्रगति की निगरानी का कार्य सौंपना चाहिए।
04) वैश्विक सहयोग को प्राथमिकता – जी20 को व्यक्तिगत हित को त्याग कर सभी सदस्य देशों के लाभ के लिए वैश्विक सहयोग को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
05) संवाद और कूटनीति का उपयोग – जी20 को संवाद और कूटनीति का उपयोग करते हुए एक ऐसा मंच बनाना चाहिए जिसमे वर्तमान में चल रहे यूक्रेन-रूस युद्ध और रूस और पश्चिम देशों के बीच मतभेदों जैसे मुद्दों को हल करने के लिए इसका उपयोग किया जाना चाहिए।
06) चर्चाओं को बढ़ाने के लिए एक मंच – भारत को G20 2023 शिखर सम्मेलन पर ध्यान केंद्रित करते हुए आक्रामक वैश्विक व्यापार की बाधाओं और प्रतिबंधों, अंतर्देशीय संघर्षों और वैश्विक शांति और सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच के रूप में उभारना चहिये।

क्या ऐसा लगता है कि भारत अपने G20 प्रेसीडेंसी का लाभ उठा सकता है?
वैश्विक चुनौतियों के इस दौर में भारत की G20 शिखर सम्मेलन की अध्यक्षता भारत को विश्व आर्थिक व्यवस्था में अपनी भूमिका को मजबूत करने का एक अनूठा अवसर प्रदान करने वाली है। भारत G20 शिखर सम्मेलन के इस साल के थीम ‘वसुधैव कुटुम्बकम’ (One Earth, One Family, One Future) साथ, भारत वैश्विक चुनौतियों का समाधान करने और सतत आर्थिक विकास की सुविधा के लिए एक महत्वाकांक्षी, जन-केंद्रित एजेंडा चला रहा है।

G20 शिखर सम्मेलन में भारत की क्या भूमिका है?
भारत के लिए 1 दिसंबर, 2022 एक महत्वपूर्ण दिन बन गया जब भारत ने इंडोनेशिया से पदभार ग्रहण करते हुए G20 फोरम की अध्यक्षता संभाली। दुनिया में सबसे बड़े लोकतंत्र और सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था के रूप में, भारत की जी20 अध्यक्षता पिछले 17 अध्यक्षताओं की महत्वपूर्ण उपलब्धियों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।

जी20 शिखर सम्मेलन में भारत के मुख्य मुद्दे क्या हैं?
भारतीय अध्यक्षता के तहत जी20 शिखर सम्मेलन के मुख्य मुद्दों ने जी20 प्राथमिकताओं को निर्धारित किया है जिसमें व्यापक आर्थिक प्रभाव पर विशेष ध्यान दिया गया है। प्राथमिक और मुख्य मुद्दे इस प्रकार हैं –
भोजन और ऊर्जा असुरक्षा,
जलवायु परिवर्तन,
बहुपक्षीय विकास बैंकों (एमबीडी) को मजबूत करना,
समावेशिता का वित्तपोषण करना,
न्यायसंगत और सतत विकास,
डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर,
जलवायु वित्तपोषण।

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