रूस ने लगभग 10 नई त्सिरकोन (जिरकोन) हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों (Zircon hypersonic cruise missile) का परीक्षण किया

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Important Current Affairs for 24.11.2021

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करंट अफेयर्स क्या है ?

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24 नवंबर 2021 के समसामयिक विषय

रूस ने लगभग 10 नई त्सिरकोन (जिरकोन) हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का परीक्षण किया

अभी हाल ही में नवंबर 2021 के महीने में रूस (Russia) ने अपनी जिरकोन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल (Zircon hypersonic cruise missile) का सफलतापूर्वक परीक्षण किया है। इस अवसर पर रूस (Russia) के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) ने कहा कि यह हथियार नई पीढ़ी के बेजोड़ हथियारों की प्रणाली का एक हिस्सा रूप है।
जिरकोन हाइपरसोनिक मिसाइल क्या है ? What is Zircon hypersonic cruise missile ?
जिरकोन हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल के बारे में जानने पहले हमें यह जानना होगा कि आखिर हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल क्या है ? एक हाइपरसोनिक स्पीड क्रूज मिसाइल ध्वनि की गति से कम से कम पांच गुना (मच 5) (Mach 5) तेजी से यात्रा कर सकती है। जिरकोन (Zircon) एक परीक्षणों की श्रृंखला है जिसका उद्देश्य रूसी क्रूजर, फ्रिगेट और पनडुब्बियों को बांटना है। यह रूस में विकसित हाइपरसोनिक मिसाइलों के तहत एक क्रूज मिसाइल है। यह प्रक्षेपण जिरकोन के परीक्षणों की श्रृंखला में नवीनतम है और इस मिसाइल को मैक 4 से मैक 6 तक क्रूज करने के लिए डिज़ाइन किया गया है जो की पहले मच 10-15 से कम गति से यात्रा करने में सक्षम थी।
इस परीक्षण के तहत रूसी नौसेना ने फ्रिगेट – एडमिरल गोर्शकोव युद्धपोत से ‘जिरकोन’ हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण किया और इस हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल ने आर्कटिक जल क्षेत्र में रूस द्वारा रखे गए परीक्षण लक्ष्य को सही ढंग से निशाना बनाया।
रूस ने ‘नुडोल’ नामक एंटी-सैटेलाइट (एएसएटी) मिसाइल का उपयोग करके कम-पृथ्वी की कक्षा में अपने स्वयं के उपग्रह को नष्ट करने में भी सफल रहा । ऐसी संभावना जताई जा रही है कि उपग्रह के नष्ट होने के कारण अंतरिक्ष में मलबे का एक बादल बन गया है जो संभावित रूप से अन्य परिक्रमा करने वाले उपग्रहों और अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) को नष्ट करने का कारण बन सकता है। .

आईएनएस विशाखापत्तनम भारतीय नौसेना में शामिल

यह हर भारतीय के लिए यह एक गर्व का दिन था जब हमारा देश भारत अपने रक्षा क्षेत्र में आत्मानिर्भर बनने की कोशिश में एक कदम और आगे बढ़ गया, जब भारत ने स्वयं निर्मित जंगी जहाज़ आईएनएस विशाखापत्तनम को औपचारिक रूप से मुंबई में नौसेना डॉकयार्ड में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया। आईएनएस विशाखापत्तनम को भारतीय नौसेना में शामिल करने की प्रक्रिया दिनांक 21.11.2021 को केंद्रीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में की गई।
रक्षा मंत्रालय की एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया कि भारत में स्वयं निर्मित जंगी जहाज़ आईएनएस विशाखापत्तनम की लंबाई 163 मीटर, चौड़ाई 17 मीटर है और इसका विस्थापन 7,400 टन है और इसे भारत में निर्मित अब तक के सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना जा सकता है। इस स्वयं निर्मित जंगी जहाज को चार शक्तिशाली गैस टर्बाइनों द्वारा संचालित किया गया है जो इस स्वयं निर्मित जंगी जहाज को 30 समुद्री मील से अधिक गति प्राप्त करने में सक्षम होगा। इस स्वयं निर्मित जंगी जहाज को भारतीय नौसेना के इन-हाउस संगठन नेवल डिजाइन निदेशालय द्वारा डिजाइन किया गया है और इसका निर्माण मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड, मुंबई द्वारा किया गया है। आईएनएस विशाखापत्तनम स्वयं निर्मित चार ‘विशाखापत्तनम जंगी जहाज ‘की श्रेणी के विध्वंसक में से पहला युद्धपोत है ।
इस स्वयं निर्मित जंगी जहाज में स्टील्थ सुविधाओं (enhanced stealth features) को बढ़ाया है जिसके परिणामस्वरूप पतवार को कुशल आकार देने, पूर्ण बीम सुपरस्ट्रक्चर डिजाइन, प्लेटेड मास्ट और उजागर डेक पर रडार पारदर्शी सामग्री के उपयोग के माध्यम से प्राप्त रडार क्रॉस सेक्शन (आरसीएस) में कमी आएगी। यह स्वयं निर्मित जंगी जहाज को अत्याधुनिक हथियारों और सेंसर जैसे सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों से लैस किया गया है। यह स्वयं निर्मित जंगी जहाज एक आधुनिक निगरानी रडार से सुसज्जित है जो जहाज के तोपखाने की हथियार प्रणालियों को लक्ष्य डेटा प्रदान करता है। पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताएं स्वदेशी रूप से विकसित रॉकेट लॉन्चर, टारपीडो लॉन्चर और एएसडब्ल्यू हेलीकॉप्टरों प्रदान की गई हैं।

केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने सेंटर फॉर नैनो टेक्नोलॉजी (CNT) और सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम (CIKS) का उद्घाटन किया

21 नवंबर 2021 को आईआईटी-गुवाहाटी में दो प्रमुख बुनियादी और अत्याधुनिक सेंटर फॉर नैनो टेक्नोलॉजी और सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम परियोजनाओं का उद्घाटन केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान द्वारा किया गया। इस मौके पर असम के शिक्षा मंत्री रनोज पेगू भी मौजूद थे। आपकी जानकारी के लिए यह उल्लेखनीय है कि IIT गुवाहाटी ने विभिन्न राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग प्रणालियों में उत्कृष्ट रैंकिंग हासिल की है।

केंद्रीय शिक्षा, कौशल विकास और उद्यमिता मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा कि सेंटर फॉर नैनो टेक्नोलॉजी (सीएनटी) का उद्देश्य देश मे नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भविष्य में आने वाली चुनौतियों का सामना करने में सहायता मिलेगी और साथ साथ नैनो टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में जुड़े उद्योगों के साथ शैक्षिक साझेदारी (academic partnerships) को बढ़ावा मिलेगा।

इस परियोजना के लिए अनुमानित धनराशि जो कि लगभग 37 करोड़ रुपये आंकी गई है जिसमें भवन के निर्माण के अलावा आधुनिक उपकरण भी शामिल होंगे । इस अनुमानित धनराशि काअधिकांश धन केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय और इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) से प्राप्त किये जायेंगे।
सेंटर फॉर इंडियन नॉलेज सिस्टम (CIKS) की स्थापना का उद्देश्य देश के उस ज्ञान के संरक्षण, दस्तावेजीकरण और उसे बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित करना होगा जो भारत के लिए अद्वितीय है, जैसे कि संस्कृत भाषा, पारंपरिक दवाएं, भारतीय योग, भारतीय शास्त्रीय संगीत, भारतीय मंदिरों की वास्तुकला, भारत के पूर्वी और उत्तरी या पहाड़ी क्षेत्रों में अपनाए जाने वाली विशेष कृषि पद्धतियां, चीनी मिट्टी की परंपरा आदि।

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मुझे उम्मीद है कि ये जानकारी निश्चित रूप से आपको अपने ज्ञान को तेज करने में मदद करेगी और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में भी मदद करेगी। कृपया टिप्पणी करें।
आपको ढेरों शुभकामनाएं।

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