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हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक ने वर्ष 2023 में देश में 2000 रुपये के नोटों को प्रचलन से बाहर करने की घोषणा की। भारत के लिए किसी भी मुद्रा को प्रचलन से हटाने का यह सबसे नवीनतम विमुद्रीकरण करने की प्रतिक्रिया थी। इस कार्रवाई से पहले वर्ष 2016 में भारत सरकार द्वारा 500 और 1000 रुपये के नोटों की कानूनी निविदा के रूप में अचानक स्थिति को हटाने का बड़ा कदम उठाया गया था। 8 नवंबर 2016 को शाम 08 बजे भारत के प्रधान मंत्री ने राष्ट्रीय टीवी पर महात्मा गांधी श्रृंखला के 500 और 1000 रुपये के सभी बैंक नोटों को तत्काल प्रभाव से बंद करने की घोषणा की। लेकिन सरकार द्वारा की गई मुद्रा के विमुद्रीकरण की इस तत्काल कार्रवाई से पूरे देश में अफरा-तफरी मच गई थी।

इस छवि का श्रेय विकिमीडिया कॉमन्स को जाता है
नोटबंदी के तहत भारत सरकार ने 500 और 1000 रुपये के कुल 15.44 लाख करोड़ रुपये मूल्य के नोट वापस ले लिए थे। यह देश में चलन में मौजूद कुल करेंसी का लगभग 88% भाग था। भारत सरकार द्वारा की गई इस तत्काल कार्रवाई से पूरे देश में नकदी की कमी और तरलता का संकट पैदा हो गया। आम जनता बैंकों और एटीएम के सामने कतार में खड़े होने को मजबूर हो गए।
वैसे तो, भारत में किसी भी मुद्रा के विमुद्रीकरण का यह दूसरा मौका नहीं था, बल्कि देश के इतिहास में यह 5वीं बार था जब भारतीय रिजर्व बैंक ने ऐसा कदम उठाया था। लेकिन स्वतंत्र भारत में यह चौथी बार हुआ था। पहला कदम द्वितीय विश्व युद्ध के तुरंत बाद वर्ष 1946 में उठाया गया था। अगर आप भारत में मुद्रा के विमुद्रीकरण के सभी कारणों को जानना चाहते हैं, तो इस लेख के साथ बने रहे।

भारत में मुद्रा विमुद्रीकरण की पूरी सूची, दिनांक और कारण सहित
01) 1946 में हुई थी विमुद्रीकरण की कार्रवाई –
– 12 जनवरी 1946 को ब्रिटिश सरकार और आरबीआई के गवर्नर श्री चिंतामन द्वारकानाथ देशमुख ने 500, 1000 और 10,000 रुपये के नोटों को प्रचलन से हटाने का फैसला किया।
– इसका मुख्य उद्देश्य द्वितीय विश्व युद्ध के कारण बढ़ रही कालाबाजारी पर लगाम लगाना था।
– विमुद्रीकरण की कार्रवाई केवल भारत ने ही नहीं की थी, बल्कि फ्रांस, ब्रिटेन, बेल्जियम आदि कई अन्य देशों ने भी अपनी मुद्रा के विमुद्रीकरण के ऐसे कदम उठाए थे।
– भारतीय रिजर्व बैंक ने दो अध्यादेश जारी करके इस फैसले को लागू किया।
– लेकिन वर्ष 1954 में भारतीय रिजर्व बैंक ने फिर से इन तीनों मूल्यवर्ग के नोटों को देश में फिर से लागू कर दिया।
02) वर्ष 1978 में 1,000, 5,000 और 10,000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण
– वर्ष 1970 में भारत सरकार ने काले धन का पता लगाने और उसके प्रसार को रोकने के लिए प्रत्यक्ष कर जांच स्थापित करने का निर्णय लिया।
– प्रत्यक्ष कर जांच के लिए गठित पैनल को “वांचू समिति” के नाम से भी जाना जाता है।
– प्रत्यक्ष कर जांच का नेतृत्व न्यायमूर्ति कैलाश वांचू ने किया था।
– न्यायमूर्ति कैलाश वांचू भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश थे।
– वर्ष 1978 में प्रधानमंत्री श्री मोरारजी देसाई की अध्यक्षता में भारत सरकार ने 1,000, 5,000 और 10,000 रुपये के नोटों को प्रचलन से हटाने का निर्णय लिया।
– 16 जनवरी 1978 को 1,000, 5,000 और 10,000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण लागू हुआ।
– यह कार्रवाई विमुद्रीकरण अध्यादेश 1978 (उच्च मूल्यवर्ग बैंक नोट) के तहत की गई थी।
– उस समय के वित्त मंत्री श्री एच एम पटेल ने कहा था कि इस उपाय से देश में असामाजिक तत्वों से निपटने और अवैध लेनदेन को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
– लेकिन नवंबर 2000 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा 1000 रुपये के नए मूल्यवर्ग के नोट को फिर से प्रचलन में लाया गया था।
03) वर्ष 2014 में 2005 से पहले जारी सभी करेंसी नोटों को वापस लेना –
– 22 जनवरी 2014 को आरबीआई ने घोषणा की कि 2005 से पहले जारी सभी नोट प्रचलन से वापस ले लिए जाएंगे।
– भारतीय रिजर्व बैंक ने यह निर्णय लिया कि आम जनता ऐसे करेंसी नोटों को बैंकों से बदल सकती है।
– करेंसी नोटों को बदलने की प्रक्रिया 1 अप्रैल 2014 से शुरू हुई थी और अगले आदेश तक उपलब्ध थी।
– भारतीय रिजर्व बैंक ने अधिसूचित किया था कि आम जनता को ऐसे करेंसी नोटों की पहचान करने में मदद करने के लिए उन मूल्यवर्गों के पीछे मुद्रण वर्ष नहीं लिखा था।
– भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा 2005 से पहले जारी सभी करेंसी नोटों को वापस लेने की इस कार्रवाई के पीछे कारण यह बताया गया कि ऐसे करेंसी नोटों में 2005 के बाद जारी किए गए नोटों की तुलना में बहुत कम सुरक्षा उपाय थे।
04) वर्ष 2016 में 500 और 1000 रुपये के नोटों का विमुद्रीकरण
– 8 नवंबर 2016 वह तारीख है जब भारत के प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय टेलीविजन पर आकर तत्काल प्रभाव से 500 और 1000 रुपये के नोटों के विमुद्रीकरण की घोषणा की।
– 8 नवंबर 2016 की तारीख को लगभग सभी राजनीतिक दलों ने “काला दिवस” के रूप में मनाया। लेकिन भाजपा ने 8 नवंबर को “काला धन विरोधी दिवस” के रूप में मनाया।
– इस कार्रवाई से 500 और 1000 रुपये के नोट तत्काल प्रभाव से अपनी वैधता खो बैठे, जिससे देश में अफरातफरी की स्थिति पैदा हो गई।
– इस कार्रवाई से लगभग 80% मुद्रा अचानक प्रचलन से बाहर हो गई।
– भारत के प्रधानमंत्री ने 500 और 2000 रुपये के नए नोटों की श्रृंखला जारी करने की घोषणा की।
– भारत के प्रधान मंत्री ने देश को आश्वासन दिया कि “इस कार्रवाई से काले धन पर अंकुश लगाने और आतंकवादी गतिविधियों के वित्तपोषण के लिए इस्तेमाल की जा रही नकली और अवैध नकदी को रोकने में मदद मिलेगी।”
05) वर्ष 2023 में 2,000 रुपये के नोटों को प्रचलन से वापस लेना
– 19 मई 2023 को भारतीय रिजर्व बैंक ने 2,000 रुपये के नोटों को प्रचलन से वापस लेने की घोषणा की।
– यह कार्रवाई उसकी ‘स्वच्छ नोट’ नीति के तहत की गई।
– भारतीय रिजर्व बैंक की घोषणा के अनुसार, आम जनता 30 सितंबर 2023 तक बैंकों या आरबीआई के नामित कार्यालयों में अपने नोट बदल सकती थी।
– देश में वर्ष 2016 के विमुद्रीकरण जैसी किसी भी तरह की अप्रिय स्थिति से बचने के लिए, भारतीय रिजर्व बैंक ने यह भी घोषणा की कि उस तिथि के बाद भी 2,000 रुपये के नोट वैध मुद्रा के रूप में बने रहेंगे।

निष्कर्ष
– ये सभी भारत में विमुद्रीकरण तिथियां, कारण और स्थिति का वर्णन किया गया हैं। जिसको जानना प्रत्येक विद्यार्थी के लिए उसके सामान्य जागरूकता का निर्माण करने के लिए महत्वपूर्ण है और साथ साथ हर उस इच्छुक व्यक्ति को इसके बारे में पता होना चाहिए।
– अवैध वित्तीय गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए इस प्रकार की कार्रवाई भविष्य में भी उठाए जा सकते है।
– इस प्रकार की कार्रवाई देश के लोगों और समग्र रूप से अर्थव्यवस्था के व्यापक हित के लिए है।
– ऐसी परिस्थितियों में प्रत्येक नागरिक को सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन करना चाहिए और दूसरों को भी ऐसा करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
– सरकार को भी यह सोचना होगा की देश में 2016 जैसी स्थिति दुबारा पैदा हो।
उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएँ।