आर्थिक सर्वेक्षण 2023 के प्रमुख बिंदु – अध्याय-वार अध्ययन | भारतीय अर्थव्यवस्था

करेंट अफेयर्स 2023 – जनवरी 2023 के करेंट अफेयर्स

आर्थिक सर्वेक्षण 2023 – अध्याय-वार अध्ययन

Table of Contents

वित्त मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 वित्त वर्ष 2024 में वास्तविक रूप से 6.5 प्रतिशत की बेसलाइन जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाता है। वेबसाइट यह भी बताती है कि वैश्विक आर्थिक और राजनीतिक विकास के आधार पर भारत 2023-24 में 6.0 प्रतिशत से 6.8 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि का गवाह बनेगा। पिछले वित्त वर्ष में 8.7 प्रतिशत की वृद्धि के बाद मार्च 2023 को समाप्त होने वाले वर्ष के लिए अर्थव्यवस्था के 7 प्रतिशत बढ़ने की उम्मीद है। इस ब्लॉग में हम आर्थिक सर्वेक्षण के सभी महत्वपूर्ण हाइलाइट्स पर चर्चा करने की कोशिश कर रहे हैं, इसलिए ब्लॉग के साथ बने रहें।

आर्थिक सर्वेक्षण महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सर्वेक्षण रिपोर्ट तब प्रकाशित हुई जब हमारा देश अपनी स्वतंत्रता के 75वें वर्ष का जश्न मना रहा है। वित्त वर्ष 2023-24 के लिए आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के अनुसार भारत व्यापक आधार वाली रिकवरी के साथ पूर्व-महामारी वृद्धि की ओर वापस आ गया है। भारत का सेवा क्षेत्र चालू वर्ष में 9% की वृद्धि के साथ ताकत के स्रोत के रूप में जारी है और जीएसटी संग्रह के तहत अब कर वृद्धि देखी जा रही है।

नवीनतम आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत में COVID-19, रूसी-यूक्रेन संघर्ष और केंद्रीय बैंकों के तीन प्रमुख झटकों को संभालने के बावजूद फेडरल रिजर्व के नेतृत्व वाली अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रास्फीति पर अंकुश लगाने के लिए नीतिगत दर में बढ़ोतरी के साथ सकारात्मक वृद्धि दिखाई देती है। अमेरिकी डॉलर में बड़ोतरी और आयात करने वाली अर्थव्यवस्थाओं के शुद्ध प्रबंधन में चालू खाता घाटा (सीएडी) के व्यापक होने के कारण, दुनिया भर में एजेंसियां ​​वित्त वर्ष 2023 में 6.5 से 7.0 प्रतिशत तक सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था के रूप में भारत को दर्शाया जाना जारी हैं।

आइए जानते हैं कि भारत के लिए आर्थिक सर्वेक्षण 2023 की रिपोर्ट तैयार करने की जिम्मेदारी किसकी है?
मुख्य आर्थिक सलाहकार के मार्गदर्शन में आर्थिक मामलों के विभाग (DEA) द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण 2023 तैयार करने की जिम्मेदारी हैं। मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन ने कहा कि भारत की जीडीपी वृद्धि के मजबूत बने रहने की उम्मीद है और देश दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा क्योंकि इसने दुनिया के सामने आने वाली असाधारण चुनौतियों से निपटने में बेहतर प्रदर्शन किया है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023 को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट सत्र की शुरुआत करते हुए संसद में पेश किया।

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2022-2023 की कुछ महत्वपूर्ण और मुख्य विशेषताएँ –

01) भारतीय अर्थव्यवस्था की रिकवरी पूरी हो गई है

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में आर्थिक सर्वेक्षण 2023 पेश किए जाने के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वर ने कहा कि पिछले आठ वर्षों में सरकार द्वारा शुरू किए गए सुधारों के दम पर भारत इस दशक में अच्छा प्रदर्शन करने के लिए तैयार है—–अधिक विस्तार में पढ़ें

02 भारत की मध्यम अवधि में वृद्धि का आशावादी दृष्टिकोण

भारतीय अर्थव्यवस्था पिछले आठ वर्षों में नए युग के निर्माण के लिए किये गए सुधारों की एक परिवर्तनकारी प्रक्रिया से गुजरी है। यह निर्मित नीतियां अर्थव्यवस्था की समग्र दक्षता में सुधार और इसकी संभावित वृद्धि को बढ़ाने की दिशा में सहायक सिद्ध हुई हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था और इसकी उत्पादक क्षमता को उजागर करने के लिए, व्यापक नीतिगत उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, सुधारों का उद्देश्य बुनियादी स्तर तक अग्रसर करने के लिए, जीवनस्तर, जीवनयापन और व्यापार करने में सुगमता को बढ़ाना देने के लिए और विकास के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग (विशेष रूप से डिजिटल प्रौद्योगिकी) और सुधारों को रेखांकित करता है। आर्थिक ऊर्जा और —-अधिक विस्तार में पढ़ें

03 राजकोषीय विकास और भारत का दृष्टिकोण | आर्थिक सर्वेक्षण – 2023

वित्त मंत्री द्वारा सदन में वित्तीय वर्ष 2023 24 के लिए केंद्रीय बजट एक अनिश्चित व्यापक आर्थिक वातावरण में प्रस्तुत किया गया था। इसकी प्रस्तुति के तुरंत बाद भू-राजनीतिक संघर्ष ने वैश्विक आपूर्ति अवरोधों को बढ़ा दिया जिसका ईंधन, भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर प्रतिकूल प्रभाव डाला। संकट के इस वातावरण के प्रति भारत सरकार की राजकोषीय नीति की प्रतिक्रिया में जहां एक ओर बढ़ती खाद्य और उर्वरक के मूल्यों के लिए सब्सिडी और दूसरी ओर ईंधन और कुछ आयातित उत्पादों पर करों में कमी का विवेकपूर्ण मिश्रण शामिल था। वर्ष के दौरान इन अतिरिक्त राजकोषीय दबावों के बावजूद केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष 2023 24 में अनुमानित राजकोषीय घाटे के बजट को प्राप्त करने के रास्ते पर है। लचीलापन—-अधिक विस्तार में पढ़ें

04 मौद्रिक प्रबंधन और वित्तीय मध्यस्थता | आर्थिक सर्वेक्षण – 2023

देश में महामारी की शुरुआत के दौरान मौद्रिक प्रबंधन नीति ने राजकोषीय नीति को और साथ-साथ सरकार के लिए भी सहायक भूमिका निभाई है। भारतीय रिजर्व बैंक के द्वारा दरों को कम करने का समन्वित प्रयास और राजकोषीय प्रोत्साहन प्रदान करने में राजकोषीय प्राधिकरण के किसी उद्देश्य के बजाय महामारी का परिणाम है जो मुख्य रूप से आर्थिक विकास को बढ़ाने में सहायक रहा है।  आरबीआई ने फरवरी 2020 से वित्तीय बाजारों में सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने और अर्थव्यवस्था में ऋण के पर्याप्त प्रवाह को बनाए रखने के उद्देश्य से तरलता को बढ़ाने के उपाय किए हैं। प्रमुख नीतिगत----अधिक विस्तार में पढ़ें--

05 कीमतें और मुद्रास्फीति – रस्सी पर सफल चलना | आर्थिक सर्वेक्षण 2023

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023 में कीमतों और मुद्रास्फीति के अध्याय को “कसकर रस्सी पर चलना” के मुहावरे से संबोधित किया गया है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023 में यह भी कहा गया है की देश की अर्थव्यवस्था को जिन विकट चुनौतियों का सामना करना पडेगा उनमें से एक विकास से समझौता किए बिना भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के उच्च मुद्रास्फीति दर और मुद्रा मूल्यह्रास के बावजूद अर्थव्यवस्था को स्थिर करने के प्रयासों से संबंधित है। लेकिन सफलता पर फैसला आना अभी प्रतीक्षित है। रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय ने मुद्रास्फीति को कम करने के आरबीआई के प्रयासों की सराहना की है। मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) प्रदान—अधिक विस्तार में पढ़ें

06. सामाजिक अवसंरचना, रोजगार और मानव विकास | आर्थिक सर्वेक्षण 2023

कोविद -19 जैसी वर्ष 2022 की वैश्विक महामारी के कारण मानव जीवन पर बड़े पैमाने में अप्रत्याशित व्यवधानो के बाद आज जब मानवता ने एक बार फिर से आगे बढ़ने और सामान्य स्थिति की झलक पाने के लिए छोटे कदम उठाए है। आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023 में इस अध्याय को नाम “द बिग टेंट” दिया गया है। हालाँकि यह सत्य है की इस महामारी के बाद की चुनौतियों और महामारी से उत्पन्न संकट की बाद की चुनौतियाँ और आगामी रूस-यूक्रेन संघर्ष ने विश्व के साथ ही साथ भारत के विकास पथ को प्रभावित किया है। नागरिकों की सामाजिक भलाई जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा और सामाजिक सुरक्षा आदि और सरकार के प्रमुख पहलुओं पर जोर दियाअधिक विस्तार में पढ़ें

07. जलवायु परिवर्तन और पर्यावरण – भविष्य का सामना करने की तैयारी | आर्थिक सर्वेक्षण 2023

आर्थिक सर्वेक्षण आयोग द्वारा इस अध्याय को “भविष्य का चेहरा तैयार करना” एक बहुत ही सार्थक शीर्षक दिया गया है। जलवायु में हो रहे बदलाव किसी एक देश की समस्या नहीं है बल्कि पूरी दुनिया इस बदलाव के लिए जिम्मेदार है लेकिन इसे दुनिया के सहयोग से ही सुलझाया जा सकता है। ऐसा लगता है कि जलवायु परिवर्तन मुख्य रूप से विकसित देशों के ग्रीनहाउस गैसों (जीएचजी) के ऐतिहासिक और उच्च प्रति व्यक्ति वार्षिक उत्सर्जन दोनों के अनुपात में उच्च संचयी उत्सर्जन के लिए जिम्मेदार है। समस्या की वैश्विक प्रकृति भारत को संचयी वैश्विक उत्सर्जन (1850-2019 की अवधि के लिए) में लगभग 4 प्रतिशत योगदान देने और विश्व औसत से कहीं कम प्रति व्यक्ति उत्सर्जन बनाए रखने के बावजूद सबसे कमजोर क्षेत्रों में से एक बनाती है। हालाँकि, उत्सर्जन के उच्च भंडार के लिए भारत कम ज़िम्मेदार है लेकिन—- —-अधिक विस्तार में पढ़ें

08. कृषि और खाद्य प्रबंधन | आर्थिक सर्वेक्षण 2023

दुनिया में किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के वित्तीय विकास को मापने के लिए कृषि बहुत महत्वपूर्ण घटक है क्योंकि कृषि आय के साथ-साथ रोजगार उत्पन्न करने के लिए भाग लेती है, यही कारण है कि कृषि और इसके संबद्ध क्षेत्र अभी भी भारतीय आर्थिक विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बने हुए हैं क्योंकि कृषि अभी भी रोजगार, आय और सबसे महत्वपूर्ण रूप से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा में अपनी भूमिका निभा रहा है। वित्तीय वर्ष 2014 – 15 में राष्ट्रीय आय में कृषि का योगदान 18.2% था जो की धीरे-धीरे वित्तीय वर्ष 2019 – 20 में घटकर 16.5 % रह गया है। इसका अर्थ यह नही है की भारत में कृषि का उत्पादन कम हो गया है बल्कि यह अर्थव्यवस्था में हो रहे संरचनात्मक परिवर्तन और विकास प्रक्रिया को दर्शाता है। किसान की आय दोगुनी करने के उद्देश्य की प्राप्ति के लिए आवश्यक है कि —-अधिक विस्तार में पढ़ें

09. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था ने उद्योगों में स्थिर सुधार दिखाया | आर्थिक सर्वेक्षण 2023

भारतीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों का एक प्रमुख स्थान बरकरार है। यदि हम देश की कुल सकल मूल्य में उद्योगो के योगदान की बात करे तो यह कहना होगा की देश की कुल सकल मूल्य में लगभग 30 प्रतिशत का योगदान औद्योगिक क्षेत्रों के ही अंतर्गत आता है। लेकिन वित्तीय वर्ष 2023 में भारतीय उद्योग को कुछ असाधारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा क्योंकि पहले महामारी का सामना करना पड़ा और फिर बाद में अचानक रूसी-यूक्रेन संघर्ष छिड़ गया। इन सब के कारण अंतर्राष्ट्रीय बाजार में वस्तुओ की कीमतों में अचानक तेज उछाल देखने को मिला। जिनमे खाद्य तेल, कच्चा तेल, उर्वरक और खाद्यान्न की कीमतें शामिल है और यह बड़ी कीमती कई महीनों तक ऊंचे स्तर पर बने रहे। दूसरे का खतरा———-अधिक विस्तार में पढ़ें

10. सेवाएं – शक्ति का एक स्रोत | आर्थिक सर्वेक्षण – 2023

आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 2023 के अनुसार भारत के सेवा क्षेत्र ने वित्तीय वर्ष 2022-23 में तेजी से बदलाव देखा गया है और यह भी अनुमान लगाया गया कि यह बदलाव संपर्क-गहन सेवाओं के उप-क्षेत्र में वृद्धि से प्रेरित था। जिसने की महामारी की स्थिति का अधिकतम बोझ उठाया। यह उप-क्षेत्र पूरी तरह से वित्त वर्ष 2022-23 की दूसरी तिमाही में पूर्व-महामारी के स्तर से उबर कर सामने आया। भारतीय अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र का इस तरह सेआगे बढ़ते हुए और मजबूत गति और संपर्क-गहन सेवा क्षेत्र के लिए उच्च-आवृत्ति संकेतक (एचएफआई) में वृद्धि अगले वित्तीय वर्ष में भी एक मजबूत विकास के अवसर को दर्शाती है। पीएमआई सेवाओं, सेवा क्षेत्र की गतिविधि का संकेत——————————–अधिक विस्तार में पढ़ें

11. बाहरी क्षेत्र – सतर्क और आशान्वित | आर्थिक सर्वेक्षण – 2023

आर्थिक सर्वेक्षण 2023 के अनुसार यह अंदेशा लगाया जा रहा है की पिछले कुछ समय से भारत का बाहरी क्षेत्र अप्रत्याशित झटको से प्रभावित रहा है और इस क्षेत्र में अनिश्चितता बढ़ी हुई है। हालांकि अब वैश्विक बाजार में वश्तुओं की कीमतों में कमी आ रही है और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय स्थितियों को कड़ा करने के बावजूद भी वित्तीय बाजार में अस्थिरता बढ़ाना, पूंजी प्रवाह का उत्क्रमण, मुद्रा मूल्यह्रास, और वैश्विक विकास और व्यापार मंदी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि आर्थिक सर्वेक्षण 2023 यह दावा किया गया है की मजबूत मैक्रोइकॉनॉमिक फंडामेंटल और बफ़र्स की ताकत के कारण भी भारत का बाहरी क्षेत्र इन विपरीत परिस्थितियों का सामना करने में सक्षम रहा है।
वित्तीय वर्ष 2022-23 के दौरान दिसंबर 2022 तक भारत के निर्यात ने रिकॉर्ड स्तर तक पहुचने के पीछे लचीलापन प्रदर्शित—–अधिक विस्तार में पढ़ें

12. भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढाँचा – संभावित विकास को उठाना | आर्थिक सर्वेक्षण 2023

आर्थिक सर्वेक्षण का भौतिक और डिजिटल बुनियादी ढाँचे का अध्याय की शुरुआत एक पूरकता की कहानी के साथ होती है कि जैसे पहिये के आविष्कार ने यात्रा योग्य रास्तों की आवश्यकता को गति प्रदान की और तब से एक बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता को गति मिली। चाहे यह पेय जल के लिए या सिंचाई के लिए नहरों की आवश्यकता महसूस हुई, जल संरक्षण के लिए बांधों की आवश्यकता महसूस हुई वैसे ही आधुनिक पूँजी संरचनाओं के क्षेत्र की आवश्यकताओं के आधार पर रेलवे, सड़क, परिवहन, शिक्षा, पर्यटन आदि तक फैली हुई है। । आजादी के बाद से भारत में पिछले 75 वर्षों में, बुनियादी ढांचे का विकास एक सतत विकास वक्र पर चला गया है, जो कि विज्ञान, आवास, वाणिज्यिक विकास, दूरसंचार और स्वच्छता जैसे क्षेत्रों में राष्ट्र द्वारा आवश्यक संपत्ति का निर्माण किया गया है। सरकार देश के सभी क्षेत्रो के सामाजिक और आर्थिक विकास के एक प्रमुख प्रवर्तक के रूप में बजटीय आवंटन के माध्यम से आगे बढ़ाने के लिए ‘सामाजिक उपरिव्यय पूंजी’ का उपयोग-अधिक विस्तार में पढ़ें

13. नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली क्षेत्र | आर्थिक सर्वेक्षण 2023

जैसा कि आर्थिक सर्वेक्षण 2023 में कहा गया है कि नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत एक रणनीतिक राष्ट्रीय संसाधन हैं और उन्होंने अपने भाषण में यह भी जोड़ा कि “इन संसाधनों का उपयोग करना सामाजिक हिस्सेदारी और ऊर्जा सुरक्षा को और मजदूत करने के लिए आवश्यक है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के उपयोग से एक मजबूत अर्थव्यवस्था और जलवायु में परिवर्तन को रोकने में सहायता मिल सकती है। नवीकरणीय ऊर्जा स्रोत के माध्यम से ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता प्राप्त करना भारत सरकार के दृष्टिकोण का हिस्सा है। सर्वेक्षण में यह भी कहा गया है कि जहां ऊर्जा तक पहुंच बढ़ाना महत्वपूर्ण है, वहीं यह भी जरूरी है कि यह पर्यावरण के लिए बहुत कम लागत पर आए, जैसा कि उन्नत अर्थव्यवस्थाओं में ऐतिहासिक रूपअधिक विस्तार में पढ़ें

14. राष्ट्रीय रसद नीति (National Logistics Policy) – भारत को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने की रूपरेखा – आर्थिक सर्वेक्षण 2023

आर्थिक सर्वेक्षण 2023 में रसद क्षेत्र (लॉजिस्टिक) पर भी प्रकाश डाला गया है क्योंकि सरकार का मानना ​​है कि विकास के दृष्टिकोण से लॉजिस्टिक्स क्षेत्र में बहुत संभावनाएं हैं क्योंकि यह हर क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है चाहे वह चिकित्सा उपकरणों, दवाओं, कृषि उत्पादों, ई-कॉमर्स और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को सफल बनाने के लिए हो। सरकार ने आर्थिक सर्वेक्षण 2023 में यह भी इंगित किया कि रसद उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। सरकार ने यह भी बताया कि जब रसद क्षेत्र हमारी अर्थव्यवस्था के लिए इतना महत्वपूर्ण हिस्सा होने के बावजूद भी इसका सकल घरेलू उत्पाद में योगदान केवल लगभग 15% या उससे भी कम है। यदि हम वैश्विक औसत सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले देखे तो लगभग $180 बिलियन प्रति वर्ष का प्रतिस्पर्धात्मक अंतर मौजूद है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023 में रसद क्षेत्र को आगे लाने की आवश्यकता पर जोर दिया है। भारत वर्तमान में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और————–अधिक विस्तार में पढ़ें

15. भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर | आर्थिक सर्वेक्षण – 2023

अंत में आर्थिक सर्वेक्षण 2023 में जनता और सरकार के बीच डिजिटल रूप से जुड़ाव पर जोर दिया गया है क्योंकि पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर पर मंडराते संकट जैसे दुनिया भर पर कोविद – 19 महामारी का प्रकोप, रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी नई चुनौतियों का जन्म, जलवायु परिवर्तन से उत्प्पन खतरा, बढ़ते हुए बाहरी ऋण का संकट और बढ़ते हुए जीवन यापन की लागत के खतरे ने आम जनता के जीवन को प्रभावित किया है। इन चुनौतियों ने हमारे समाज को भी प्रभावित किया हैं। हालाँकि निति निर्धारकों ने स्थिति से उभरा हुआ दर्शाने के लिए कुछ लीपा पोती तो की है लेकिन वास्तव में स्थिति अभी भी सामान्य नहीं हो पाई है। आर्थिक सर्वेक्षण 2023 में सरकार ने कुछ परिवर्तनकारी समाधान प्रदान करने के लिए सावधानीपूर्वक डिज़ाइन किए गए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) की शक्ति को दर्शाते हुए कहा है कि डीपीआई के लिए संभावित-अधिक विस्तार में पढ़ें

परीक्षा नोट्स तैयार करने के लिए महत्वपूर्ण बिंदु पढ़ें

भारत का डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर
राष्ट्रीय रसद नीति (National Logistics Policy)
नवीकरणीय ऊर्जा और बिजली क्षेत्र

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