आजीविका, राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय विकास पर COVID-19 का प्रभाव

COVID-19 ने आय, आयु, नस्ल, लिंग और भौगोलिक स्थिति के आधार पर लगातार असमानताओं को उजागर किया है। COVID-19 का प्रभाव लोगों की आजीविका, उनके स्वास्थ्य और हमारी खाद्य प्रणालियों पर दिखाई दिया है आज वैश्विक स्वास्थ्य के बेहतर लाभों के बावजूद, दुनिया भर में लोगों को स्वास्थ्य के सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और पर्यावरणीय निर्धारकों में निहित अपने स्वास्थ्य और कल्याण के लिए जटिल, परस्पर जुड़े खतरों का सामना करना पड़ रहा है। इस लेख में हम कोविद-19 से होने वाले राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय विकास पर और आजीविका के मुद्दे पर विचार करेंगे

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यदि हम देखे तो संयुक्त राष्ट्र की स्थापना को लगभग छिहत्तर वर्ष (seventy six years) बीत चुके हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन की स्थापना को लगभग तिहत्तर वर्ष (seventy three years) बीत चुके हैं लेकिन संयुक्त राष्ट्र और विश्व स्वास्थ्य संगठन के इस लम्बे इतिहास में मानवता के विपरीत वैश्विक स्वास्थ्य संकट की ऐसी विषम परिस्थिति का सामना करते हुए नहीं देखा गया हैं। वर्तमान का यह वैश्विक संकट न केवल विश्व स्वास्थ्य परिस्तितिओ को ही निशाना बना रहा है बल्कि इस महामारी से वैश्विक आर्थिक और सामाजिक संकट भी पैदा हो गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा कोरोनावायरस रोग (COVID-19) को एक महामारी के रूप में पहचाने जाने के बाद से यह पाया कि कोरोनावायरस रोग समाज के मूल पर हमला कर रहा है क्योंकि इस रोग में एक मनुष्य ही दूसरे मनुष्य को पीड़ा फैला रहा है और लोगों के जीवन में स्वास्थ्य, आर्थिक और सामाजिक संकट भी पैदा कर रहा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोविड -19 महामारी ने दुनिया भर में मानव जीवन पर एक अकल्पनीय क्षति की है और साथ साथ विश्व स्तर पर सार्वजनिक स्वास्थ्य, खाद्य प्रणालियों और दुनिया के कामकाज के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती भी पेश की है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार कोविड -19 महामारी के कारण होने वाला वैश्विक स्तर पर आर्थिक और सामाजिक व्यवधान विनाशकारी रहे है। कोविड -19 महामारी के प्रकोप के विस्तार को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के कारण विश्व के लाखों लोगों का अत्यधिक गरीबी में गिरने का खतरा बढ़ गया है लेकिन फिर भी कोरोनावाइरस से कुपोषित लोगों की संख्या वैश्विक स्तर पर बढ़ती ही जा रही है। वर्तमान में गूगल पर उपलब्ध डेटा के अनुसार लेख लिखने की तारीख तक कोविड -19 महामारी से संक्रमित मरीजों की संख्या लगभग 412,351,279 पुष्ट मामले है और इस संक्रमण से मरने वालों की संख्या लगभग  5,821,004 तक पहुंच गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन यह भी घोषित किया है कि 14 फरवरी 2022 तक कुल 10,227,670,521 टीकों की खुराक दी जा चुकी है।

संयुक्त राष्ट्र की एक विज्ञप्ति के अनुसार दुनिया भर में लाखों उद्यमी एक संभावित खतरे का सामना कर रहे हैं और इस कारण लगभग आधे वैश्विक कार्यबल ने अपनी आजीविका बनाए रखने का अवसर खो दिया है और उनमें से कई को अपनी आजीविका खोने का खतरा है। अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में कार्यरत श्रमिक आर्थिक,सामाजिक और स्वास्थ्य सुविधाओं से कमजोर होते हैं क्योंकि इन श्रमिकों के पास सामाजिक सुरक्षा और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच नहीं होती है और वे आजीविकापार्जन तक पहुंच खो चुके होते हैं। तालाबंदी के दौरान विश्व भर के श्रमिकों ने अपनी आजीविकापार्जन अर्जित करने के साधन के आभाव में अपना और अपने परिवार का भरण पोषण करने में असमर्थ रहे। राष्ट्रों की सरकारों ने जरूरतमंद परिवारों को खाद्यान्न के मुफ्त वितरण की व्यवस्था की थी, इस कल्याणकारी कार्य के लिए सरकारों को अतिरिक्त वित्तीय भार का भी सामना करना पड़ा है।

संयुक्त राष्ट्र ने मौजूदा परिस्थितियों का आकलन करते हुए यह घोषणा की कि नवीनतम महामारी दुनिया की संपूर्ण उत्पादन प्रणाली को प्रभावित कर रही है विशेष रूप से खाद्य प्रणाली को और संयुक्त राष्ट्र ने इन परिस्थितियों की नाजुकता को भी उजागर कर दिया है कि दुनिया भर में तालाबंदी , सीमा बंद और व्यापार प्रतिबंध के कारण उत्पादकों को उत्पादन करने और बाजार में उत्पादन की बिक्री करने से रोक रहे हैं। संयुक्त राष्ट्र ने यह भी साफ़ किया कि इसी प्रतिबंध के कारण ही घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय खाद्यान्न बाजार प्रभावित हो रहा है क्योंकि इस सामाजिक प्रतिबंध के कारण ही किसानों को बाजारों तक पहुंचने से रोक रहे हैं। जिसमें किसानों द्वारा कृषि के लिए इनपुट खरीदना और अपनी उपज बेचने के लिए बाजारों तक पहुंचना शामिल है यहाँ तक की इस सामाजिक प्रतिबंध के कारण ही किसानों और कृषि श्रमिकों को कृषि भूमि तक जाना भी प्रतिबंधित हो गया था। इस सामाजिक प्रतिबंध के कारण ही खाद्य आपूर्ति श्रृंखला,स्वस्थ, सुरक्षित और विविध आहार तक पहुंच को कम कर दिया है। संयुक्त राष्ट्र ने यह भी कहा कि इस नवीनतम महामारी ने दुनिया भर में नौकरियों के अवसर को खत्म कर दिया है और दुनिया भर में लाखों लोगों की आजीविका को खतरे में डाल दिया है। जिस कारण लाखों पुरुष, महिला और बच्चों की खाद्य सुरक्षा और पोषण खतरे में पड़ गया है। विशेष रूप से यह कम आय वाले देशों के लिए सबसे तगड़ा झटका हैं।

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लाखों कृषि श्रमिक, मजदूर और स्वरोजगार कारोबारी जो आजतक दुनिया का भरण-पोषण करने में कार्यरत थे यह आज कामकाजी गरीबी, कुपोषण और खराब स्वास्थ्य का सामना कर रहे हैं और स्वास्थ्य और श्रम सुरक्षा के साथ-साथ अन्य प्रकार के सामाजिक और आर्थिक दुष्परिणामो से पीड़ित हो रहे हैं। कम और अनियमित आय वाले श्रमिकों के पास अक्सर इन असुरक्षित परिस्थितियों ने खुद को और उनके परिवार को अतिरिक्त जोखिम में डाल दिया है। इसके अलावा, जब किसी भी परिवार को आय हानि का सामना करना पड़ता है तो वे असामाजिक गतिविधियां करने की रणनीतियों का सहारा ले सकते हैं या एक नकारात्मकता घर कर सकती है और ऐसी स्थिति में परिस्थितियों से मुकाबला करने के लिए संपत्ति की संकट बिक्री, ऋण, बाल श्रम या कोई भी असामाजिक गतिविधि के कालचक्र में फंस सकते हैं।

आज कोरोनावायरस महामारी के संक्रमण से लगभग दुनिया का कोई भी कोना अछूता नहीं है और इस वायरस के अचानक संक्रमण ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं को गिरावट की ओर धकेल दिया है। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के गिरावट का मुख्य कारण सरकारों का वायरस के संक्रमण के प्रसार से निपटने के उपायों के लिए उठाये गए कदमों में लॉकडाउन एक हैं। कोरोनावायरस महामारी के संक्रमण से अब तक राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं पर पड़े आर्थिक प्रभाव को हम आगे समझेंगे।

बेरोजगारी की दर में वृद्धि – कोरोनावायरस महामारी के संक्रमण के ये दो साल विशेषकर नौकरीपेशा और नौकरी चाहने वाले उम्मीदवारों के लिए एक कठिन वर्ष रहा क्योंकि इस महामारी के दौरान बहुत से लोगों की नौकरी चली गई है या उनकी आय में कटौती की गई। दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाऐ भी इस वायरस के प्रभाव से अछूती नहीं रह पाई ओंर यहाँ पर भी बेरोजगारी की दर में वृद्धि देखने को मिली। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के आर्थिक पूर्वानुमान के अनुसार, जो अक्टूबर 2020 में पहले ही प्रकाशित हो चुका था कि महामारी के संक्रमण के कारण आधारभूत परिदृश्य परियोजनाओं में काम के घंटो में निरंतर 3.0 प्रतिशत तक का नुकसान पाया गया है जो 90 मिलियन पूर्णकालिक समकक्ष (FTE) नौकरियों के बराबर मानी जा सकती है और माना जा सकता है की इस निराशावादी परिदृश्य में 2021 तक काम के घंटे में नुकसान 4.6 प्रतिशत तक बढ़ सकती है जिसका अर्थ हो सकता है कि विश्व स्तर पर लगभग 130 मिलियन (FTE) नौकरियों के बराबर हो सकती है।

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अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार काम के सिलसिले मै अपने देश से बाहर मुल्को में गए लोगो का अनुपात सालाना तेजी से घट रहा है जो की इस दशक मै सबसे कम मानी जा सकती है। इस महामारी के संक्रमण के कारण अधिकांश विकसित देशों की अर्थववस्था भी अब मंदी की चपेट में आ चुकी हैं। उदाहरण के लिए हाल ही में कुवैत सरकार ने अपने देश में प्रवासी आबादी को 70% से घटाकर 30% करने की घोषणा की है। यहाँ यह जानना आवश्यक होगा कि कुवैत के 48 मिलियन लोग रहते हैं और जिसमे से लगभग 34 मिलियन लोग विदेशी हैं या ऐसे भी कहा जा सकता है कि कुवैत की कुल आबादी का एक बड़ा हिस्सा विदेशिओ का है जो यहां नौकरी के सिलसिले में है। कुवैत सरकार ने इस कार्यवाही के पीछे कारण बताते हुए कहा कि “हमारे पास इस असंतुलन को दूर करने के लिए भविष्य की एक चुनौती है,”

सकल घरेलू उत्पाद में परिवर्तन – सकल घरेलू उत्पाद जो कि आमतौर पर उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं के मूल्य पर आधारित होता है और जिसमें परिवर्तन का माप प्राय तिमाही और वार्षिक आधार पर किया जाता है। इस महामारी के संक्रमण के कारण आईएमएफ की एक विज्ञप्ति के अनुमान वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्ष 2020 तक सिकुड़ कर 4.4% रह गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन ने अपनी विज्ञप्ति में यह भी कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में यह गिरावट यह स्थिति वर्ष 1930 की महामंदी के बाद से सबसे खराब बताया और साथ साथ यह भी कहा कि जहां एक और विश्व की मजबूत अर्थव्यवस्थाऔ में गिरावट दर्ज की गई है यही चीन विश्व का एकमात्र ऐसा देश था जिसकी अर्थव्यवस्था ने वर्ष 2020 में 2.3% की वृद्धि दर्ज की।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन (आईएमएफ) ने इस और भी ध्यान आकर्षित किया की वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रतिशत में परिवर्तन मुख्य रूप से भारत और चीन जैसे विकासशील देशों द्वारा संचालित होता है और दोनों देशों की 2021-22 के लिए अर्थव्यवस्था में क्रमशः 8.8% और 8.2% बढ़ने का अनुमान लगाया था जो की कुछ हद तक ठीक रहा क्योकि भारत और चीन की 2021-22 के लिए अर्थव्यवस्था में क्रमशः 8.4% और 8.1% दर्ज की गई और यह भविष्यवाणी भी की 2021-22 के लिए वैश्विक विकास दर 5.2% रहेगी।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन (आईएमएफ) ने अपनी जनवरी 2022 में प्रकाशित विश्व आर्थिक आउटलुक अपडेट (World Economic Outlook Update) जिसका शीर्षक है “बढ़ते केसलोड, एक बाधित वसूली, और उच्च मुद्रास्फीति” में कहा है कि वर्ष 2022 में वैश्विक विकास दर 4.4 प्रतिशत होने की उम्मीद है जो की वर्ष 2021 में 5.9 आंकी गई थी। आईएमएफ) ने यह भी कहा कि यह अनुमान अक्टूबर 2021 महीने में प्रकाशित विश्व आर्थिक आउटलुक (WEO) अपडेट की तुलना में आधा प्रतिशत कम है। इस गिरावट का मुख्य कारण विश्व की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के विकास दर के पूर्वानुमान में गिरावट है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन (आईएमएफ) ने अपनी जनवरी 2022 में प्रकाशित विश्व आर्थिक आउटलुक अपडेट में यह भी साफ़ किया कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिल्ड बैक बेटर फिस्कल पॉलिसी पैकेज (the Build Back Better fiscal policy package) के बेसलाइन को संशोधित करने के कारण विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को अपने बनाये गए मौद्रिक वापसी की व्यवस्था में देरी या कमी होना और निरंतर आपूर्ति की कमी होने के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका की विकास दर 1.2 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई और साथ साथ चीन के COVID-19 नीति से संबंधित महामारी-प्रेरित व्यवधानों के विरुद्ध विश्व की शून्य-सहनशीलता नीति के कारण विश्व के संपत्ति डेवलपर्स के बीच लंबे वित्तीय तनाव के कारण चीन की विकास दर ने 0.8 प्रतिशत-बिंदु डाउनग्रेड करने को प्रेरित किया है। इस कारण अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष संगठन (आईएमएफ) ने ऐसी उम्मीद जताई है कि वर्ष 2023 में वैश्विक विकास दर धीमी होकर 3.8 प्रतिशत रहेगी।

पर्यटन उधोग और आतिथ्य व्यवस्था में भारी गिरावट – वैश्विक विकास दर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर निर्भर रहता है और विभिन्न देशों की अर्थव्यवस्थाओं की विकास दर पर यहाँ के पर्यटन उधोग और आतिथ्य व्यवस्था का बहुत बड़ा योगदान रहता है लेकिन गत वर्षों में कोरोनावाइरस महामारी के संक्रमण के कारण पर्यटन और आतिथ्य उधोग लगभग ठप हो गए हैं, लाखों श्रमिकों को सरकार द्वारा समर्थित नौकरी प्रतिधारण योजनाओं पर भी रखा गया है। इसके साथ साथ यात्रा उद्योग भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है, एयरलाइनों ने उड़ानें काट दी गई हैं जिस कारण विश्व की व्यावसायिक ढांचे की कमर तोड़ दी है क्योंकि यात्रा प्रतिबंधों के कारण और लॉकडाउन की प्रतिबंधों के कारण ग्राहकों, यात्रियों और व्यापारी अपनी व्यावसायिक यात्राओं पर नहीं जा सके। साथ ही वायरस के नए रूपो की खोजो ने कई देशों को सख्त यात्रा प्रतिबंध लगाने के लिए मजबूर भी किया है। फ़्लाइट ट्रैकिंग सेवा फ़्लाइट राडार 24 (flight tracking service Flight Radar 24) के डेटा से पता चलता है कि 2020 में वैश्विक स्तर पर उड़ानों की संख्या में भारी गिरावट आई और यह अभी भी ठीक होने में एक लंबा रास्ता तय करना होगा।

आतिथ्य क्षेत्र (Hospitality sector) को भारी नुकसान हुआ – कोविद -19 महामारी के इस परिपेक्ष के तहत जहाँ मूवमेंट पर प्रतिबंध होने के कारण दुनिया भर में आतिथ्य क्षेत्र (Hospitality sector) को भारी नुकसान हुआ है। क्योंकि वैश्विक स्तर पर कोरोनावाइरस महामारी के संक्रमण और वायरस के नए रूपो की खोजो के कारण दुनियाभर में आतिथ्य क्षेत्र (हॉस्पिटैलिटी सेक्टर) को अपने दरवाजे बंद करने के लिए मजबूर होना पड़ा हैं। इस कारण आतिथ्य क्षेत्र (हॉस्पिटैलिटी सेक्टर) की कई बड़ी कंपनियाँ दिवालिया होने की कगार पर पहुंच गई है और साथ साथ दुनियाभर में आतिथ्य क्षेत्र (हॉस्पिटैलिटी सेक्टर) से जुड़े लाखों कर्मचारीओ को अपनी नौकरियों से भी हाथ धोना पडा। वैश्विक विकास दर पर आतिथ्य क्षेत्र (Hospitality sector) से जुड़े उद्योगो की भूमिका महत्वपूर्ण है। ऐसा माना जाता है कि आतिथ्य क्षेत्र वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 11% से अधिक हिस्सा है। वर्ष 2020 में कोरोनावाइरस महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए उठाए गए कदमों के तहत लगाए गए तालाबंदी के कारण इस उद्योग को अरबों डॉलर का नुकसान हुआ है और वर्ष 2021 में महामारी के संक्रमण का प्रभाव कम होने के कारण और वैश्विक स्तर पर कोरोनावाइरस महामारी के टीकाकरण के कारण इस उद्योग की स्थिति में पूर्वानुमान से बेहतर विकास हुआ है और कुछ विश्लेषकों का मानना ​​है कि अंतर्राष्ट्रीय यात्रा और पर्यटन उद्योग वर्ष 2025 के आसपास सामान्य पूर्व-महामारी के स्तर पर वापस लौट पाएंगे।

फार्मास्युटिकल कंपनियां (Pharmaceutical companies) का बोलबाला – इस कोरोनावाइरस महामारी के दौर में फार्मास्युटिकल कंपनियां का बोलबाला रहा क्योंकि दुनिया भर की अधिकांश सरकारों ने कोविद -19 वैक्सीन और उपचार विकल्पों के लिए अरबों डॉलर पानी की तरह बहा दिया जिस कारण से वैक्सीन विकास में शामिल कुछ दवा कंपनियों के शेयरों में तेजी देखने को मिली जिसमे मुख्यतया नोवावैक्स और एस्ट्राजेनेका दवा कम्पनीआं शामिल है।

उपसंहार

COVID-19 महामारी का यह संकट केवल किसी एक देश या सरकार के लिए ही चुनौति नहीं है बल्कि यह समस्या पूरे विश्व की बन गई है। इस महामारी के संकट के दौर में लगभग सभी देशो की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ कर रख दी है। संकट की इस घडी में विश्व की सभी सरकारों को नियोक्ताओं और श्रमिकों के साथ मिलकर काम करना आवश्यक होगा क्योंकि COVID-19 महामारी के इस दौर में सभी सरकारों को अपने देश में खाद्य सुरक्षा, सार्वजनिक स्वास्थ्य, रोजगार और श्रम के मुद्दों को बनाए रखने के साथ साथ नए रास्तों को खोजना भी महत्वपूर्ण है। महामारी के इस दौर में सभी सरकारों को जीवन और आजीविका को बचाने के लिए तत्काल और उद्देश्यपूर्ण कार्रवाई करने की आवश्यकता है। इस उद्देश्यपूर्ण कार्रवाई में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज और महामारी से सबसे अधिक प्रभावित लोगों के लिए आय उपार्जन के लिए सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना शामिल होना चाहिए। इस अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में युवा, वृद्ध, श्रमिक, प्रवासी श्रमिकों और कम वेतन वाली नौकरियों में शामिल श्रमिकों के हितों की सुरक्षा शामिल होना चाहिए और साथ साथ महिलाओं की स्थिति पर भी विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। विशेषकर जिन देशों की अर्थव्यवस्था कम वेतन वाली नौकरियों का प्रतिनिधित्व अधिक करती हैं वहां नकद हस्तांतरण, बाल भत्ते, स्वस्थ स्कूल भोजन, भोजन सामग्री में राहत की पहल, रोजगार प्रतिधारण और वसूली के लिए समर्थन के साथ साथ सूक्ष्म, लघु और मध्यम आकार के उद्यमों सहित व्यवसायों के लिए वित्तीय राहत महत्वपूर्ण हैं। ऐसे उपायों को डिजाइन और कार्यान्वित करने में यह आवश्यक है कि सरकारें नियोक्ताओं और श्रमिकों के साथ मिलकर काम कर सके।

COVID-19 महामारी के आपात स्थितियों से और मौजूदा मानवीय संकटों से निपटने वाले देश जो विशेष रूप से कोरोनावाइरस के प्रभावों के संपर्क में हैं ऐसे देशों को महामारी से निपटने के लिए तेजी से जवाब देना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि मानवीय और रिकवरी सहायता सबसे ज्यादा जरूरतमंदों तक पहुंच सके।

आज विशेषकर इस प्रगतिशील और विकासशील दुनिया में वैश्विक एकजुटता और समर्थन का समय है और इस महामारी के संकट के दौर में केवल एकजुटता से ही वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य, सामाजिक और आर्थिक प्रभावों को दूर किया जा सकता हैं और साथ साथ संयुक्त राष्ट्र के महासचिव द्वारा जारी पॉलिसी ब्रीफ ” हम इस संकट की घड़ी को कैसे बेहतर बना सकते है” को पहचानना चाहिए। इस वैश्विक संकट से निपटने के उपायों और विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के प्रयासों में अग्रसर देशों का समर्थन करने के लिए वैश्विक स्तर पर विशेषज्ञता और अनुभव को एकत्रित करने के लिए प्रतिबद्ध होना होगा। इस वैश्विक संकट के दौरान स्वास्थ्य, कृषि और खाद्य क्षेत्रों के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक दीर्घकालिक स्थायी रणनीति विकसित करने की आवश्यकता को पहचानना होगा।

विश्व के सभी देशों को अपने पर्यावरण के भविष्य पर पुनर्विचार करने के लिए प्रतिज्ञानिष्ट होना होगा और तत्परता के साथ जलवायु परिवर्तन और पर्यावरणीय गिरावट से निपटने के लिए आवश्यक कदम उठाने चाहिए। तभी संभव हो सकता है कि विश्व के सभी लोगों के स्वास्थ्य, आजीविका, खाद्य सुरक्षा और पोषण की रक्षा हो सके और यह सुनिश्चित हो सके कि हमारा ‘नया सामाज’ कैसा हो।

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