भारत में औद्योगिक श्रमिकों के लिए दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 5.5% तक लुढ़का

करंट अफेयर्स 2023 – जनवरी 2023 के लिए करेंट अफेयर्स

भारत में औद्योगिक श्रमिकों के लिए दिसंबर में खुदरा मुद्रास्फीति 5.5% तक लुढ़का – जानकारी और अन्य उपयोगी प्रश्न

खुदरा मुद्रास्फीति जिसे उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) मुद्रास्फीति के रूप में भी जाना जाता है। यह वह दर है जिस पर उपभोक्ताओं द्वारा व्यक्तिगत उपयोग के लिए खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में समय के साथ वृद्धि होती रहती है। हम खुदरा मुद्रास्फीति विषय पर चर्चा करने जा रहे हैं कि इसका खबरों में आने का क्या कारण है? जैसा कि आप ब्लॉग का शीर्षक देखकर पढ़ने के लिए यहां आये है कि खुदरा मुद्रास्फीति 5.5% तक गिर गई है और गिरावट का क्या महत्व है और खुदरा मुद्रास्फीति के महत्व को भी जानेगे। यह विषय यूपीएससी और इसी तरह की अन्य परीक्षाओं के उम्मीदवारों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, इसलिए ब्लॉग के साथ बने रहें।

दिसंबर 2023 में भारत में औद्योगिक श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति बढ़कर 5.5% हो गई।

यह खबर चलन में है कि कुछ खाद्य पदार्थों की अधिक कीमतों के कारण दिसंबर 2022 में भारतीय औद्योगिक श्रमिकों के लिए खुदरा मुद्रास्फीति नवंबर 2022 के 5.41 प्रतिशत से मामूली बढ़कर 5.50 प्रतिशत हो गई। इस संबंध में श्रम ब्यूरो द्वारा जारी एक बयान में कहा गया है कि दिसंबर 2022 के लिए मुद्रास्फीति की दर पिछले महीने नवंबर 2022 के 5.41 प्रतिशत की तुलना में 5.50 प्रतिशत रही और श्रम ब्यूरो ने यह भी कहा कि दिसंबर महीने के लिए मुद्रास्फीति की दर 2021 में 5.56 फीसदी थी।

यहाँ यह भी उल्लेखनीय है कि बयान में यह भी कहा गया है कि भारत में खाद्य मुद्रास्फीति पिछले महीने के 4.30 प्रतिशत परन्तु एक साल पहले इसी महीने के दौरान 5.93 प्रतिशत के मुकाबले 4.10 प्रतिशत रही। बयान में यह भी कहा गया कि औद्योगिक श्रमिकों के लिए अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई-आईडब्ल्यू) दिसंबर 2022 के लिए 0.2 अंक की गिरावट के साथ 132.3 अंक पर रहा जो नवंबर 2022 में 132.5 अंक था।
स्टेस्टमेंट के अनुसार एक महीने के लिए प्रतिशत में परिवर्तन पिछले महीने के सूचकांक बिंदु की तुलना में 0.15 प्रतिशत कम हो गया था जो 0.24 प्रतिशत था।

बयान से यह भी संकेत मिलता है कि मौजूदा सूचकांक में अधिकतम नीचे की ओर दबाव खाद्य और पेय पदार्थ समूह जैसे प्राथमिक क्षेत्र से आया है जो सूचकांक के कुल परिवर्तन में 0.52 प्रतिशत अंकों के बदलाव के लिए उत्तरदायी है। बयान के अनुसार उपभोक्ता सूचकांक में गिरावट के लिए निम्नलिखित वस्तुएं जिम्मेदार हैं गोभी, फूलगोभी, बैंगन, गाजर, प्याज, आलू, टमाटर, मटर, लहसुन, हरी मिर्च, सेब, संतरा, सूरजमुखी का तेल, वनस्पति तेल और पोल्ट्री वस्तुएं आदि। हालांकि सूचकांक की इस कमी के लिए ऊपर बताई गई चीजें जिम्मेदार हैं लेकिन रिपोर्ट यह भी कहती है कि चावल, गेहूं, आटा, दूध, मछली, अंडा, सूखी मिर्च, जीरा, हल्दी, चायपत्ती, पका हुआ भोजन, एलोपैथिक दवा, स्कूल की फीस और ट्यूशन फीस आदि चीजें भी उपभोक्ता सूचकांक पर दबाव बढ़ा रही हैं।

रिपोर्ट के अनुसार केंद्र स्तर पर नासिक और लखनऊ की तरह प्रत्येक में 1.9 अंकों की अधिकतम कमी दर्ज की गई है, जबकि अन्य क्षेत्रों में 1 से 1.8 के बीच कमी दर्ज की गई है। दूसरी ओर हरियाणा के फरीदाबाद जिले में 3.3 अंकों की अधिकतम वृद्धि दर्ज की गई और उसके बाद नागपुर और तिरुनेलवेली में क्रमश: 3.0 और 2.4 अंकों की वृद्धि दर्ज की गई।

यह अतिरिक्त जानकारी के लिए है कि श्रम ब्यूरो (श्रम और रोजगार मंत्रालय के तहत एक कार्यालय) हर महीने देश में औद्योगिक रूप से महत्वपूर्ण 88 केन्द्रों से औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI-IW) को 317 बड़े बाजारों में फैले खुदरा कीमतों के आधार पर संकलित कर रहा है। यह सूचकांक 88 केंद्रों पर अखिल भारतीय के आधार पर संकलित किया जाता है और अगले महीने के अंतिम कार्य दिवस पर जारी किया जाता है।

पूछे जाने वाले महत्वपूर्ण प्रश्न

खुदरा मुद्रास्फीति से आप क्या समझते हैं ?
खुदरा मुद्रास्फीति वह दर है जिस पर उपभोक्ताओं द्वारा व्यक्तिगत उपयोग के लिए खरीदी जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में समय के साथ वृद्धि को कहते है।
खुदरा महंगाई को और किस नाम से भी जाना जाता है ?
खुदरा मुद्रास्फीति को उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) के रूप में भी जाना जाता है।

खुदरा मुद्रास्फीति वस्तुओं और सेवाओं की टोकरी में किस बदलाव को मापती है?
खुदरा मुद्रास्फीति वस्तुओं और सेवाओं की एक टोकरी की लागत में परिवर्तन को मापती है जो आमतौर पर भोजन, कपड़े, आवास, परिवहन और चिकित्सा देखभाल सहित परिवारों द्वारा खरीदी जाती हैं।
कोर इन्फ्लेशन से आप क्या समझते हैं ?
कोर मुद्रास्फीति एक व्यक्ति द्वारा खरीदी गई सभी वस्तुओं की लागत है जिसमें भोजन और ईंधन की कीमतों की लागत शामिल नहीं है।
हाल ही में खुदरा मुद्रास्फीति की खबरें क्यों चलन में क्यों हैं?
क्योंकि हाल ही में भारत में खुदरा महंगाई दर घटकर 5.50% रह गई जो की मार्च 2023 में खुदरा मुद्रास्फीति की दर भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के 6% के ऊपरी लक्ष्य से नीचे चली गई है।

खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट का क्या महत्व है?
खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट का महत्व इस प्रकार है –
01) खुदरा मुद्रास्फीति में कमी अर्थव्यवस्था के सकारात्मक विकास का संकेत है।
02) खुदरा मुद्रास्फीति उन उपभोक्ताओं को कुछ राहत देती है जो आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं की बढ़ती कीमतों से जूझ रहे हैं।
03) खुदरा मुद्रास्फीति आरबीआई को अपनी मौद्रिक नीति में और अधिक लचीलेपन और अपने निर्णयों के साथ आगे बढ़ने का अवसर दे सकती है।
04) खुदरा मुद्रास्फीति का महत्व आरबीआई को यह सोचने का मौका देता है कि क्या मुद्रास्फीति की प्रवृत्ति समान रहने दे या तदनुसार नीतियों के साथ समायोजित करे।

CPI की गणना के लिए कौन सा सूत्र अपनाया जाता है?
CPI की गणना के लिए अपनाया गया सूत्र निम्नानुसार है –
वर्तमान अवधि में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक = वर्तमान अवधि में बाजार टोकरी की लागत को आधार अवधि में बाजार टोकरी की लागत से विभाजित करके 100 से गुणा किया जाता है।
अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति की निगरानी की क्या आवश्यकता है?
01) मूल्य स्थिरता बनाने के लिए
02) उपभोक्ताओं के साथ-साथ व्यवसायों के विश्वास को बढ़ावा देने के लिए
03) ब्याज दरों को समायोजित करने के लिए
04) अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने के लिए

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