भारत का डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा | विकास | संभावनाएं | बाधाएं – आर्थिक सर्वेक्षण – 2023

करेंट अफेयर्स 2023 - जनवरी 2023 के करेंट अफेयर्स

भारत का डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचा | आर्थिक सर्वेक्षण – 2023

भारत के वित्त मंत्री ने देश के डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के महत्व पर जोर देते हुए आर्थिक सर्वेक्षण 2023 को समाप्त किया और आर्थिक सर्वेक्षण 2023 के अपने भाषण में उन्होंने सरकार और देश की जनता के बीच डिजिटल रूप से एक जुड़ाव पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर पर मंडराते संकट जैसे दुनिया भर पर कोविद – 19 महामारी का प्रकोप, रूस-यूक्रेन युद्ध जैसी नई चुनौतियों का जन्म, जलवायु परिवर्तन से उत्प्पन खतरा, बढ़ते हुए बाहरी ऋण का संकट और बढ़ते हुए जीवन यापन की लागत के खतरे ने आम जनता के जीवन को प्रभावित किया है। इन चुनौतियों ने हमारे समाज को भी प्रभावित किया हैं। हालाँकि निति निर्धारकों ने स्थिति से उभरा हुआ दर्शाने के लिए कुछ लीपा पोती तो की है लेकिन वास्तव में स्थिति अभी भी सामान्य नहीं हो पाई है। अधिक जानकारी जानने के लिए कृपया ब्लॉग के साथ बने रहें।

डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर – 21 वीं सदी के लिए नवीनीकरण और विकास की कुंजी

एक विश्वसनीय डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) की समझ और डिजाइन सरकार के लिए यह सुनिश्चित करने के लिए महत्वपूर्ण पहलू है कि लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए और अपने देशवासिओ के विकास को कैसे पूरा किया जाए। जिससे सरकार अपने कार्यशैली के तरीकों को बदल सके और साथ ही सरकार किसी भी स्थिति में समाज की मदद कर सके फिर चाहे वह महामारी हो या अन्य वित्तीय संकट जैसी प्रमुख वैश्विक चुनौति। अब यहाँ एक प्रश्न उत्प्पन होता है कि भरोसेमंद डीपीआई (डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर) कैसा दिखता है और नीति निर्माता अपने देशों में नवप्रवर्तन को बढ़ावा देने के लिए इसका उपयोग कैसे कर सकते हैं?

यदि हम यह कहे कि वर्तमान में भारत डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास में एक वैश्विक नेता के रूप ने उभरा है तो अतिश्योक्ति नहीं होगी क्योकि भारत में डीपीआई का उपयोग डिजिटल भुगतान, डेटा-शेयरिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर को व्यापक रूप से अपनाने और भारत में ई-कॉमर्स के क्षेत्र को बढ़ाने में व्यापक भूमिका अदा की है। इन नवोन्मेषों ने भारत के घरेलू व्यवसायों और उद्यमशीलता को बढ़ावा मिला है। यदि सही ढंग से लागू किया जाता है तो डीपीआई में दुनिया के सभी क्षेत्रों में नवाचार को उत्प्रेरित करने और बाजार की बाधाओं को दूर करने की क्षमता है।

देश में परिवर्तनकारी समाधान प्रदान करने के लिए डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर (DPI) की शक्ति इस बात पर निर्भर करती है कि सरकार ने देश में DPI को कितनी सावधानी से डिज़ाइन और विकसित किया गया है। दुनिया के सकारात्मक बदलाव में योगदान करने के लिए डीपीआई की क्षमता के कारण आज भारत के लिए जी20 नेतृत्व का एक प्रमुख फोकस बन गई है।
डीपीआई जिसे इंडिया स्टैक (India stack) के रूप में भी जाना जाता है जिसमे आधार, डिजिटल लॉकर, डिजीयात्रा, यूपीआई जैसे डिजिटल प्लेटफार्मों का संग्रह शामिल है। भारत में डीपीआई को प्रौद्योगिकियों, नियामकों, निजी क्षेत्र की कंपनियों, स्वयंसेवकों, नए विकसित स्टार्टअप और शैक्षणिक संस्थान सहित विभिन्न संस्थाओं के बीच सहयोग के माध्यम से विकसित किया गया है। भारत सरकार का लक्ष्य है कि डीपीआई के माध्यम से नागरिकों को सरकारी सेवाओं तक पहुँचने और समावेशी विकास को बढ़ावा देने के लिए एक सहज और कुशल तरीका प्रदान कर सके।

डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर से संबंधित भारत सरकार की पहल क्या हैं?

भारत में डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए भारत सरकार द्वारा की गई पहलें निम्नलिखित हैं –

आधार जारी करना
भारत सरकार ने आधार जारी करने का कार्यक्रम शुरू करने की पहल की है। आधार एक विशिष्ट पहचान प्रणाली है जो प्रत्येक भारतीय निवासी को 12 अंकों की पहचान संख्या प्रदान करती है। आधार जारी करने का विचार देश के प्रत्येक नागरिक की एक डिजिटल पहचान बनाना है जो वित्तीय सेवाओं सहित विभिन्न सेवाओं के लिए व्यक्तियों को प्रमाणित करने के लिए उपयोग करने के लिए हमेशा तैयार है।

डिजिलॉकर की सुविधा –
डिजिलॉकर भारत के प्रत्येक नागरिक के लिए भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया अनूठा कार्यक्रम है। डिजिलॉकर एक डिजिटल लॉकर है जो सभी भारतीय नागरिकों को अपने दस्तावेजों को ऑनलाइन स्टोर करने और साझा करने में सक्षम बनाता है। डिजीलॉकर महत्वपूर्ण दस्तावेजों जैसे आधार, पैन, ड्राइविंग लाइसेंस और शैक्षिक प्रमाणपत्र आदि को स्टोर करने और एक्सेस करने का एक सुरक्षित और सुविधाजनक तरीका प्रदान करता है।
डिजिलॉकर इन सभी दस्तावेज़ों के लिए एक सुरक्षित और क्लाउड-आधारित रिपॉजिटरी प्रदान करता है, जिसे कभी भी और कहीं से भी एक्सेस किया जा सकता है और आवश्यकता पड़ने पर किसी भी सरकारी एजेंसियों या अन्य संस्थाओं के साथ साझा किया जा सकता है और वे मान्य किया जाता है।

डिजीयात्रा पोर्टल की शुरुआत
डिजीयात्रा पोर्टल भारत सरकार द्वारा शुरू की गई एक डिजिटल पहल है, जो हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को सहज और परेशानी मुक्त यात्रा अनुभव प्रदान करने के लिए शुरू की गई है। डिजिटल तकनीकों का लाभ उठाकर भौतिक संपर्क को कम करने के उद्देश्य से डिजीयात्रा पोर्टल की पहल भारत सरकार द्वारा शुरू की गई है।
डिजीयात्रा यात्रियों को संपर्क रहित यात्रा का अनुभव प्रदान करती है। डिजीयात्रा पोर्टल के तहत यात्री अपने आधार या पासपोर्ट का उपयोग करके खुद को प्री-रजिस्टर कर सकते हैं और चेक-इन और सुरक्षा बिंदुओं पर सेल्फ-बैग ड्रॉप, ई-बोर्डिंग पास, बायोमेट्रिक सत्यापन और स्व-पहचान जैसी कई डिजिटल सेवाओं का लाभ उठा सकते हैं।

यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) –
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) वह तकनीक है जिसका उपयोग और संचालन केवल मोबाइल द्वारा किया जा सकता है। यूपीआई की तकनीक उपयोगकर्ता को अपनी सभी बैंकिंग जरूरतों को पूरा करने में सक्षम बनाती है जैसे स्वयं के बैंक खातों के बीच तत्काल फंड ट्रांसफर या बिल भुगतान के तरीके से। यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) ने भारत में डिजिटल भुगतान परिदृश्य को बदल दिया है और पूरे देश में डिजिटल भुगतान को अपनाने की सुविधा प्रदान की है।

भारतनेट कार्यक्रम –
भारतनेट कार्यक्रम भारत सरकार द्वारा भारत के सभी गांवों को हाई-स्पीड इंटरनेट कनेक्टिविटी से जोड़ने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। भारतनेट सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है जिसका उद्देश्य देश के डिजिटल अंतर को पाटने का काम करना है और ग्रामीण भारत में भी डिजिटल बुनियादी ढांचे के लाभों को पहुंचाना है।

आरोग्य सेतु ऐप का शुभारंभ –
आरोग्य सेतु ऐप एक मोबाइल एप्लिकेशन है जिसे भारत सरकार ने अप्रैल 2020 में COVID-19 के प्रसार को रोकने के अपने प्रयासों के तहत लॉन्च किया था। आरोग्य सेतु ऐप को उपयोगकर्ताओं को अन्य व्यक्तियों के साथ उनकी बातचीत के आधार पर COVID-19 अनुबंध के जोखिम का आकलन करने और COVID-19 संबंधित स्वास्थ्य सेवाओं के बारे में जानकारी प्रदान करने में मदद करने के लिए डिज़ाइन किया गया था।
आरोग्य सेतु ऐप द्वारा उपयोगकर्ताओं को उनके क्षेत्र में COVID-19 मामलों की संख्या पर वास्तविक समय के अपडेट भी प्रदान करने में सक्षम था और उपयोगकर्ताओं को अलर्ट किया करता था कि क्या वे किसी ऐसे व्यक्ति के करीब तो नहीं हैं जिसका COVID-19 का परीक्षण सकारात्मक है।

CoWIN ऐप की शुरुआत –
CoWIN ऐप को जनवरी 2021 में भारत सरकार द्वारा COVID-19 के खिलाफ भारत के टीकाकरण अभियान के एक भाग के रूप में लॉन्च किया गया था। CoWIN ऐप भारत सरकार द्वारा विकसित एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है जो भारत के सभी नागरिकों के लिए COVID-19 के टीकाकरण नियुक्तियों के लिए पंजीकरण और शेड्यूलिंग कार्यक्रम को आसान बनाने की सुविधा प्रदान करता है।
CoWIN के पोर्टल ने लोगों को खुद को COVID-19 टीकाकरण के लिए पंजीकृत करने, टीकाकरण के स्थान, टीकाकरण के शुल्क की जानकारी या मुफ्त में टीकाकरण, केंद्र पर मिलने का समय निर्धारित करने की अनुमति दी।
CoWIN प्लेटफॉर्म लोगों को उनके स्थान और वैक्सीन की उपलब्धता के आधार पर टीकाकरण केंद्रों की खोज करने की अनुमति दी और साथ ही साथ CoWIN पोर्टल प्रत्येक केंद्र पर उपलब्ध टीकों की संख्या और उनके प्रकार की जानकारी भी प्रदान करने में भी सक्षम था।

उमंग ऐप (UMANG app) को विकसित करना –
उमंग का फुल फॉर्म यूनिफाइड मोबाइल एप्लिकेशन फॉर न्यू-एज गवर्नेंस है। सरकार की कोशिश है कि उमंग ऐप के जरिए ई-गवर्नेंस सुविधा का लाभ सबसे पहले मोबाइल के जरिए उपलब्ध कराया जाए। उमंग ऐप का पोर्टल इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) और राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस डिवीजन (NeGD) द्वारा विकसित किया गया है। —- अधिक विवरण में पढ़ने के लिए यहां दबाएं-

माईस्कीम (myScheme) पोर्टल का शुभारंभ –
माईस्कीम (myScheme) पोर्टल का मुख्य शब्द “वन-स्टॉप सर्च और सरकारी योजनाओं की खोज” है। माईस्कीम (myScheme) पोर्टल भारत सरकार द्वारा 4 जुलाई, 2022 को राष्ट्र को समर्पित किया गया था। माईस्कीम (myScheme) पोर्टल का उद्देश्य सरकारी योजनाओं के लिए वन-स्टॉप सर्च और डिस्कवरी प्लेटफॉर्म प्रदान करने वाले स्कीम का मार्केटप्लेस के रूप में काम करना है। मंच का लक्ष्य सरकारी योजनाओं को सरकारी कार्यालयों में एक सहज, सुविधाजनक, कैशलेस, पेपरलेस, फेसलेस, समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से सेवा प्रदान करना है।—-अधिक विवरण में पढ़ने के लिए यहां दबाएं

ये कुछ महत्वपूर्ण डिजिटल प्लेटफॉर्म हैं जिनका उपयोग भारत का कोई भी नागरिक जाति, रंग, धर्म या लिंग के भेदभाव के बिना कर सकता है। अब सवाल उठता है कि क्या भारत सरकार द्वारा डिजिटल पब्लिक प्लेटफॉर्म के तहत उपयोग किए जाने वाले डेटा संरक्षण के क्षेत्र में कोई कदम उठाया गया है। आइए डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए डेटा संरक्षण के लिए भारत सरकार द्वारा की गई कुछ पहलों पर चर्चा करें

आधार अधिनियम, 2016 –
भारत सरकार द्वारा देश में आधार पेश करने की पहल को आधार अधिनियम 2016 का समर्थन प्राप्त है। जो आधार कार्यक्रम के लिए एक कानूनी ढांचा प्रदान करता है और व्यक्तिगत डेटा के संग्रह, भंडारण और उपयोग से संबंधित सुरक्षा के प्रावधानों को निर्धारित करता है। यह अधिनियम भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) को आधार कार्यक्रम के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार केंद्रीय प्राधिकरण के रूप में स्थापित करने के लिए भी अधिकृत करता है।

पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल 2019 –
व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक 2019 को जनता में उनके व्यक्तिगत डेटा के उपयोग और भंडारण के लिए विश्वास पैदा करने के उद्देश्य से पेश किया गया है। व्यक्तिगत डेटा की गोपनीयता को बनाए रखने और डेटा के प्रसंस्करण और हस्तांतरण के लिए एक रूपरेखा स्थापित करने और डेटा सुरक्षा नियमों की देखरेख और लागू करने के लिए भारतीय डेटा सुरक्षा प्राधिकरण की स्थापना के लिए भारत सरकार द्वारा उठाए गए महत्वपूर्ण कदममें से एक है।

राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति 2013 –
जब भारत सरकार भारत में डिजिटलीकरण की शुरुआत करना चाहती थी तब सरकार को साइबर अपराधों के जन्म और उनकी साज़िशों के जन्म लेने का पूर्वानुमान था इसी लिए सरकार राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति 2013 ले कर आई। राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति 2013 महत्वपूर्ण सूचना अवसंरचना की सुरक्षा और साइबर हमलों की रोकथाम के लिए एक रूपरेखा प्रदान करती है।

साइबर स्वच्छता केंद्र –
साइबर स्वच्छता केंद्र को बॉटनेट क्लीनिंग एंड मालवेयर एनालिसिस सेंटर के नाम से भी जाना जाता है। CSK डिजिटल इंडिया के लिए सरकार की पहल का एक हिस्सा है। भारत में बॉटनेट संक्रमण का पता लगाकर डेटा की सफाई और एक सुरक्षित साइबर स्पेस बनाने का काम इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) द्वारा किया जाता है। CSK अंतिम उपयोगकर्ताओं की सुरक्षा प्रणाली की देख रेख करता है ताकि देश में संक्रमण को आगे बढ़ने से रोका जा सके।
मैलवेयर का विश्लेषण करने और उसे हटाने के लिए नागरिकों को जानकारी प्रदान करने के लिए सीएसके का संचालन भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया दल (सीईआरटी-इन) द्वारा किया जा रहा है। इसके अलावा सीएसके नागरिकों के बीच अपने डेटा, कंप्यूटर, मोबाइल फोन और होम राउटर जैसे उपकरणों को सुरक्षित करने के लिए जागरूकता पैदा करने का भी प्रयास करने में सक्षम है।

देश में डिजिटलीकरण के लिए सरकार द्वारा किया गया उपर्युक्त कार्य अधिकतम सावधानी और कानून की बाध्यता के साथ डिजिटलीकरण को आगे बढ़ा रहा है लेकिन आइए चर्चा करें कि डिजिटलीकरण को आगे बढ़ाने का तरीका क्या होना चाहिए?

साइबर सुरक्षा के लिए और अधिक सुदृढ़ीकरण का प्रावधान –
वैसे तो सरकार ने पहले ही साइबर सुरक्षा को मजबूत करने के लिए अपने प्रयासों पर निवेश किया है लेकिन कानून तोड़ने वाले एक कदम आगे रहते हैं। इसलिए सरकार को डिजिटल सिस्टम को अप्रत्याशित साइबर खतरों से बचाने के लिए साइबर सुरक्षा उपायों में अधिक निवेश करने की आवश्यकता है। साइबर सुरक्षा के क्षेत्र में विशेषज्ञ ने सुझाव दिया है कि सरकार को डिजिटल सिस्टम की कमजोरियों की पहचान करने के लिए मजबूत सुरक्षा प्रोटोकॉल विकसित करने और नियमित ऑडिट को लागू करने के लिए सरकार को इस क्षेत्र में और अधिक निवेश करना होगा और साइबर सुरक्षा से निपटने के लिए एक व्यापक कानूनी और नियामक ढांचे का निर्माण करके साइबर सुरक्षा को मजबूत किया जा सकता है। डेटा सुरक्षा, साइबर अपराध और सूचना सुरक्षा पर कानून की पकड़ और मजदूत करनी होगी।

देश में डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार के लिए और अधिक प्रावधान की आवश्यकता
देश की अधिकतम आबादी तक डिजिटलीकरण की पहुंच बनाने के लिए सरकार को देश भर में डिजिटल बुनियादी ढांचे का विस्तार करने की आवश्यकता है। इस प्रावधान में इंटरनेट कनेक्टिविटी में सुधार, अधिक डेटा केंद्रों का निर्माण और डिजिटल एक्सेस पॉइंट प्रदान करना शामिल है। इसके साथ साथ सरकार को 5G, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ब्लॉकचैन टेक्नोलॉजी जैसी उभरती हुई तकनीकों में निवेश करना चाहिए जो की डिजिटल बुनियादी ढांचे के विस्तार के लिए बहुत मददगार हो सकता है।

डिजिटल सेवाओं के लिए आसान पहुंच बनाना
सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि देश में डिजिटलीकरण को सफल बनाने के लिए सभी नागरिकों के लिए डिजिटल सेवाएं आसानी से उपलब्ध हों। डिजिटलीकरण के लिए की गई सुविधा को उनकी सामाजिक-आर्थिक स्थिति या भौगोलिक स्थिति से समझौता नहीं करना चाहिए। सरकार को उपग्रह ब्रॉडबैंड आपूर्ति की नवीन तकनीकों का उपयोग करके ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में इंटरनेट कनेक्टिविटी के विस्तार के लिए काम करना चाहिए।
सरकार को उपयोगकर्ता के अनुकूल डिजिटल इंटरफेस के निर्माण के लिए यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह स्थानीय भाषाओं के अनुकूल हो या कम स्तर की डिजिटल साक्षरता वाले उपयोगकर्ता भी डिजिटल सेवाओं तक पहुंच सकें।

जनता में डेटा संरक्षण का प्रचार –
सरकार को जनता को विश्वास में लेना चाहिए कि डिजिटल रूप में संग्रहीत डेटा अच्छी तरह से संरक्षित है। व्यक्तिगत जानकारी को दुरुपयोग से बचाने के लिए सरकार को सख्त डेटा सुरक्षा नियमों को लागू करना चाहिए। जिसमें डेटा उपयोग, भंडारण और साझाकरण पर स्पष्ट दिशानिर्देश स्थापित करना शामिल हो।
व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा के संग्रह, भंडारण, प्रसंस्करण और साझाकरण को विनियमित करने के लिए डेटा सुरक्षा बिल का कार्यान्वयन डेटा सुरक्षा में बहुत मददगार हो सकता है।

डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार को करनी होगी व्यवस्था –
डिजिटल इंडिया का सपना तब साकार हो पाएगा, जब डिजिटल साक्षर लोगों की बड़ी तादाद होगी। यह भी सच है कि डिजिटल अर्थव्यवस्था के लिए आवश्यक डिजिटल कौशल वाले कार्यबल की आवश्यकता होती है। सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डिजिटल साक्षरता स्कूल स्तर से शुरू होनी चाहिए या कुशल कार्यबल बनाने के अवसरों को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए।

हम पहले ही ऊपर सरकार द्वारा राष्ट्र के डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे तक जनता की पहुँच को आसान बनाने के लिए किए गए विकास कार्यो और सुधारों के बारे में चर्चा कर चुके हैं, लेकिन इसे सफल बनाने के लिए सरकार को भी कुछ चुनौतियाँ का सामना करना पड़ता हैं तो आइए चर्चा करते हैं कि भारत में डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे के विकास के संबंध में क्या-क्या चुनौतियाँ हो सकती हैं ?

वित्तीय चुनौतियाँ –
एक मजबूत राष्ट्रीय डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के निर्माण के लिए बहुत अधिक वित्तीय सहायता की आवश्यकता होती है क्योंकि एक मजबूत डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के निर्माण और रखरखाव की प्रक्रिया प्रकृति द्वारा आवर्ती प्रकार का निवेश है और हमारी सरकार को इन परियोजनाओं के वित्तपोषण में बजट की कमी का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि हमारी सरकार की प्राथमिकताएं अलग है। इसके अतिरिक्त, बुनियादी ढांचे की दीर्घकालिक स्थिरता का समर्थन करने वाले वित्तपोषण मॉडल को स्थापित करना मुश्किल हो सकता है।

कानूनी चुनौतियां –
किसी भी देश में मजबूत राष्ट्रीय डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए जरूरी है कि राष्ट्र की एक मजबूत और कुशल कानूनी प्रक्रिया होनी चाहिए। इस प्रक्रिया में सरकार को डेटा साझा करने और डिजिटल सेवाओं के प्रावधान को सक्षम करने के लिए मौजूदा कानूनी ढांचे में बदलाव करना होगा। सरकार को डेटा सुरक्षा, बौद्धिक संपदा अधिकारों और डेटा उल्लंघनों की गतिविधियों के लिए उत्तरदायित्व के संबंध में जटिल कानूनी मुद्दों को बदलना चाहिए।

राजनीतिक चुनौतियां –
राष्ट्रीय डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना के विकास और कार्यान्वयन के लिए एक महत्वपूर्ण राजनीतिक इच्छाशक्ति और समर्थन की आवश्यकता होती है क्योंकि इसमें अक्सर सार्वजनिक धन का पर्याप्त निवेश शामिल होता है और सरकारों को आवश्यक संसाधनों को हासिल करने और विशेष रूप से हमारे जैसे लोकतांत्रिक देशों में ऐसी पहलों के लिए सार्वजनिक खरीद पर धन खर्च करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।

डेटा सुरक्षा और गोपनीयता बनाए रखने के लिए चुनौतियाँ –
डिजिटल पब्लिक इन्फ्रास्ट्रक्चर नेटवर्क में साझा किए गए डेटा की सुरक्षा बनाए रखना सरकार के लिए महत्वपूर्ण चुनौती है क्योंकि यह एक संवेदनशील मामला है जिसमें बड़ी मात्रा में संवेदनशील डेटा का संग्रह, भंडारण और उपयोग शामिल है और जो सुरक्षा उल्लंघनों और गोपनीयता के जोखिम को भी बढ़ाता है। सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बुनियादी ढांचे को मजबूत गोपनीयता और सुरक्षा उपायों के साथ डिजाइन और कार्यान्वित किया जाए ताकि नागरिकों की जानकारी और जनता के विश्वास की रक्षा की जा सके।

देश की जनता को दो वर्गों में बटने की चुनौती –
सरकार के सामने एक बड़ा जोखिम है कि डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढाँचे का परिचय समाज के अंतर को और चौड़ा करने का कारण हो सकता है क्योंकि एक उन लोगों का वर्ग जिनके पास डिजिटल तकनीकों तक पहुँच नहीं है और एक अन्य वर्ग जो आसानी से डिजिटल तकनीक का उपयोग कर सकता हैं। जो वर्ग डिजिटल तकनीक तक पहुंच बना सकता है। वह डिजिटल रूप से प्रदान की जाने वाली सेवाओं का लाभ पाने के लिए हमेशा आगे रहेगा। इस मामले में सरकारों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बुनियादी ढांचा सभी नागरिकों के लिए सुलभ हो चाहे वे लोग देश के किसी भी क्षेत्र के हों।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों

आधार जारी करने के पीछे क्या विचार था?
आधार जारी करने के पीछे का मकसद देश के हर नागरिक की डिजिटल पहचान बनाना था।
आधार संख्या में कितने अंक होते हैं?
प्रत्येक आधार की संख्या में बारह अंक होते हैं।
डिजिलॉकर से आप क्या समझते हैं?
डिजिलॉकर भारत सरकार द्वारा प्रदान किया गया एक डिजिटल लॉकर है जहां कोई भी भारतीय नागरिक अपने दस्तावेज़ों को स्टोर कर सकता है।
डिजीयात्रा पोर्टल शुरू करने का उद्देश्य क्या था?
हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों को झंझट मुक्त यात्रा प्रदान करने के लिए डिजीयात्रा पोर्टल की शुरुआत की गई थी।
यूपीआई का पूर्ण रूप क्या है?
यूपीआई का फुल फॉर्म यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस है।
यूपीआई की अवधारणा को पेश करने के पीछे क्या उद्देश्य था?
यूपीआई को पेश करने का उद्देश्य भारत के सभी नागरिकों को मोबाइल पर सभी बैंकिंग सेवाएं प्रदान करना था।

भारतनेट कार्यक्रम को देश में प्रारंभ करने का क्या कारण था ?
भारतनेट को शुरू करने के पीछे का कारण किसी भी दूरस्थ गांव को हाई स्पीड इंटरनेट सुविधा प्रदान करना था।
आरोग्यसेतु पोर्टल कब लॉन्च किया गया था?
आरोग्यसेतु पोर्टल अप्रैल 2020 में लॉन्च किया गया था।
आरोग्य सेतु ऐप लॉन्च करने के पीछे क्या कारण था?
आरोग्यसेतु ऐप को लॉन्च करने के पीछे का कारण समाज में कोविड-19 वायरस को फैलने से रोकना था।
CoWin ऐप कब लॉन्च किया गया था?
CoWin ऐप को जनवरी 2021 में लॉन्च किया गया था।
CoWin ऐप लॉन्च करने की वजह क्या थी?
CoWin ऐप को लॉन्च करने के पीछे का कारण देश में कोविड-19 के टीकाकरण का सुचारू संचालन था।

उमंग ऐप वेबसाइट को विकसित करने का क्या कारण है?
उमंग ऐप को विकसित करने का मुख्य उद्देश्य सभी भारतीय नागरिकों को केंद्र से लेकर स्थानीय सरकारी निकायों तक पैन इंडिया ई-गवर्नेंस सेवाओं तक पहुंचने के लिए एक मंच प्रदान करना है।
उमंग ऐप पोर्टल पर क्या-क्या लाभ मिलते हैं?
उमंग ऐप का उपयोग एचपी गैस, भारत गैस और इंडेन गैस के ऑनलाइन सिलेंडर बुक करने और रिफिल के लिए अनुरोध करने, सब्सिडी, मैकेनिक सेवाएं, सरेंडर कनेक्शन आदि प्राप्त करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसके अतिरिक्त पेंशनभोगी पेंशन और पेंशनभोगी कल्याण विभाग द्वारा दी जाने वाली सेवाओं का भी लाभ उठा सकते हैं।
उमंग ऐप को पेश करने के क्या उद्देश्य हैं ?
उमंग ऐप को पेश करने का मुख्य उद्देश्य नागरिकों कों ‘ईज ऑफ लिविंग’ को सक्षम करना है जो भारत सरकार की ढेर सारी सेवाओं जैसे स्वास्थ्य सेवा, वित्त, शिक्षा, आवास, ऊर्जा, कृषि, परिवहन, रोजगार और कौशल की उपयोगिता तक आसान पहुंच प्रदान करना है।
उमंग ऐप पोर्टल पर कितनी सेवाएं उपलब्ध हैं ?
उमंग ऐप पोर्टल पर दिसंबर 2019 तक लगभग 1200 सेवाओं के साथ 200 एप्लिकेशन प्रदान करने का लक्ष्य रखा गया था।

कृपया कमेंट और शेयर करें

इन ब्लॉगों को अवश्य पढ़ें

आर्थिक सर्वेक्षण 2023 के प्रमुख बिंदु – अध्याय-वार अध्ययन | भारतीय अर्थव्यवस्था

आर्थिक सर्वेक्षण-2023 पर आधारित एमसीक्यू | MCQ

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *