क्या आपको इस ब्लॉग का शीर्षक निरंतर अभ्यास से हाथ लगती है “सफलता”, उचित लगता है? या हम यह कहे कि “निरंतर अभ्यास मनुष्य को पूर्ण और आत्मविश्वासी बनाता है” उचित होगा। या फिर “निरंतर अभ्यास निरंतर प्रयास की जननी है” कहना उचित होगा? यह पाठक स्वयं निश्चित करे क्योंकि हमें तो सब के सब एक जैसे प्रतीत हो रहे हैं। क्या आपने कभी अपने जीवन में इसका अनुभव किया है? क्या आपको कभी ऐसा लगा है कि अगर मैं थोड़ी और मेहनत करता तो इस काम में सफल हो सकता था? क्या आपने कभी महसूस किया है कि किसी भी काम में सफल होने के लिए निरंतर अभ्यास और निरंतर प्रयास आवश्यक है? क्या आपने कभी एक दर्शक के रूप में किसी से कहा है कि यदि उन्होंने थोड़ा और प्रयास किया होता तो वे निश्चित रूप से सफल होते? क्या आपको कभी अपने प्रयासों के कारण अपने आत्मविश्वास में कमी महसूस हुई है? इन सब पर काबू पाने का एकमात्र तरीका निरंतर अभ्यास और निरंतर प्रयास है। निरंतर अभ्यास पर हम आगे चर्चा करेंगे। तो ब्लॉग पर बने रहें और लाइक, शेयर और कमेंट जरूर करें।

‘Life is a race’, नहीं नहीं यह मैं नहीं कह रहा हूँ। यह तो मशहूर हिंदी फिल्म ” 3 इडिअस ” का एक मशहूर डायलाग है। जिसमें एक शिक्षक अपने छात्रों से कहता है कि आप इस कॉलेज में प्रवेश के लिए हजारों प्रतिस्पर्धियों को हराकर यहाँ तक पहुँचे हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि एक प्रतियोगिता में हजारों प्रतिस्पर्धियों को हराने का रहस्य क्या हो सकता है? तो इसका सीधा सा उत्तर है “निरंतर प्रयास”। जी हां, निरंतर प्रयास ही वह उपकरण है जिससे आप अपने प्रतिस्पर्धियों को हरा सकते हैं। निरंतर प्रयास से मुझे कबीर का एक दोहा याद आ रहा है – “करत-करत अभ्यास के जडमति होत सुजान । रसरी आवत-जात ते सिल पर परत निशान ॥ ” कहने का अर्थ यह है की “निरंतर प्रयास में वह शक्ति है कि एक नरम रस्सी भी निरंतर प्रयास से कठोर पत्थर पर भी अपना निशान बना देती है। कबीर यहाँ यह बताना चाहते है की निरंतर अभ्यास ही इस निरंतर प्रयास की जननी है।
हमने अपने जीवन में न जाने कितनी बार सुना होगा और इससे भी बड़ी बात हमने भी कितनी बार दूसरों को कहा होगा कि अभ्यास करो क्योंकि “अभ्यास मनुष्य को पूर्ण बनाता है।” “अपने काम में निपुण बनाता है” “हमारी योगयताओ को और अधिक पैना बनाता है”। इस बात में कितनी सत्यता है हम नहीं जानते लेकिन हमने तो अपने बचपन से यही सुना है फिर वह चाहे वह स्कूल हो, कॉलेज हो, खेल का मैदान हो, या फिर घर ही क्यों न हो| सभी जगह इसी कहावत को सुना है।
क्या कभी हमने रुक कर यह सोचा है की हमारे घर के बड़े, हमारे स्कूल कॉलेज के अध्यापकगण, खेल के मैदान में परिशिक्षक, हमें निरंतर अभ्यास करने पर इतना जोर क्यों देते है क्योंकी वह हमें हमारे लक्ष्य को पूरा कराना चाहते है। उन्हें मालूम है कि अभ्यास से ही हम अपने लक्ष्य को आसानी से पा सकते है।
वर्तमान में प्रतियोगिताओ का बोलबाला है, जहाँ देखो वहीँ प्रतियोगीयो का जमावड़ा है। सब के सब अवल आने की दौड़ में शामिल है। इसी कारण प्रतियोगी परीक्षाएँ दुनिया भर में हर शैक्षिक प्रणाली का भी हिस्सा बन गया हैं। हर साल हजारों छात्र, छात्राएं प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठते हैं। प्रतियोगी परीक्षाओं में उत्तीर्ण होने के लिए छात्र, छात्राएं विभिन प्रकार से प्रयास करते है। कुछ तो लाखों की फीस लेने वाले संस्थानों से प्रशिक्षण भी लेते है लेकिन उनमें से केवल कुछ ही सफल हो पाते हैं।
मैं यहाँ यह बताना चाहता हूँ की इन प्रतियोगी परीक्षाओं से डरना कैसा, जब अभ्यास परीक्षा (mock test) का हो साथ । किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिए अभ्यास परीक्षा (मॉक टेस्ट) देना सबसे अच्छे तरीकों में से एक है।
किसी भी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी के लिए सबसे अच्छी रणनीतियों में से एक अभ्यास परीक्षा (मॉक टेस्ट) में भाग लेना है। अभ्यास परीक्षा (मॉक टेस्ट) प्रतियोगीओं को निम्न बातों का आंकलन करने में मदद करता है –
- प्रतियोगी परीक्षा का स्तर जांचने में मदद करता है।
- प्रतियोगी परीक्षा में पूछे गए और पूछे जा सकने वाले प्रश्नों के पैटर्न से परिचित होने में सहायता करता है।
- प्रतियोगी परीक्षा के माहौल से परिचित होने में मदद करता है।
- उत्तर पुस्तिका में उत्तर अंकित करने की कला से परिचित होने में मदद करता है।
- पूछे गए प्रश्नों से प्रतियोगीओं को अपनी परीक्षा की तैयारी का आंकलन करने में मदद करता है।
- सही और गलत उत्तरों की समीक्षा करके प्रतियोगी को अपने मजबूत और कमजोर क्षेत्रों का विश्लेषण करने में मदद करता है।
- उत्तर देने की गति और समय प्रबंधन कौशल में सुधार करने में मदद करता है।
- प्रश्न पत्र को जल्दी पढ़ने और समझने में मदद करता है।
- उम्मीदवार को संपूर्ण पाठ्यक्रम को दोहराने में मदद करता है।
- अभ्यास परीक्षा का अभ्यास प्रतियोगीओं के अंदर आत्मविश्वास जागृत करने और उसमे सुधार करने में मदद करता है।
- अभ्यास परीक्षा का अभ्यास प्रतियोगीओं को उनकी परीक्षा की तैयारी की प्रगति को ट्रैक करने में सहायता करता है।
हम किसी भी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता पाने के लिए मॉक टेस्ट के महत्व को ऊपर बताए गए बिंदुओं से समझ सकते हैं। हम मॉक टेस्ट के महत्व के बारे में आगे और भी विस्तार से चर्चा करेंगे, इसलिए ब्लॉग पर बने रहें।
मॉक टेस्ट “हिंदी में जिसे अभ्यास परीक्षा भी कहते है।” मॉक टेस्ट को इस तरह से तैयार किया जाने का प्रयास किया जाता है कि वे वास्तविक परीक्षा से मिलते जुलते लगे। वैसे तो आज ऐसे बहुत से ऑनलाइन, ऑफलाइन स्रोत उपलब्ध है, जिससे एक परिक्षार्थी किसी भी परीक्षा की संरचना और पैटर्न के बारे में बहुत सारी जानकारी एकत्र करने में सक्षम हों सकते है। “लेकिन मोखिक बाते परीक्षा के तनाव में साथ नहीं दे पाती है।” हाँ मॉक टेस्ट ही है जिसका निरंतर अभ्यास ही एक प्रतियोगी को परीक्षा के पैटर्न को भली प्रकार से समझने और याद रखने में सहायता देता है। यही नहीं, मॉक टेस्ट का निरंतर अभ्यास प्रश्न पत्र के प्रत्येक अनुभाग को सही तरीके से संचालित करने में मदद करता है। यह भी कहा जा सकता है की प्रतियोगी परीक्षाओ की तैयारी के लिए मॉक टेस्ट का निरंतर अभ्यास अत्यंत महत्वपूर्ण सिद्ध हो सकता है, क्योंकि यह प्रतियोगिओं को वास्तविक परीक्षा के पाठ्यक्रम, और उसमे आने वाली कठिनाई और प्रश्नों के पैटर्न के बारे में सबसे अच्छी तरह से समझ पाने में मददगार सिद्ध हो सकता है।
मॉक टेस्ट एक ऐसा वातावरण पैदा करता है जो करीब करीब वास्तविक परीक्षा जैसा माहौल तैयार करता है। बहुत से परीक्षार्थी घर पर ही किताबो से ही प्रैक्टिस पेपर को हल करते है लेकिन यह बताना आवश्यक है की घर पर प्रैक्टिस पेपर हल करने और मॉक टेस्ट देने में बहुत अंतर है। आज देश के बहुत से पर्शिक्षण संसथान अपने पाठ्यक्रम में मॉक टेस्ट को विशेष स्थान दे रहे है। आज ऑनलाइन भी भारी मात्रा में मॉक टेस्ट उपलब्ध हैं, जिसमे हम भी शामिल है। यदि नियमों के साथ मॉक टेस्ट का अभ्यास किया जाये तो मॉक टेस्ट परीक्षार्थी को वास्तविक परीक्षा में होने वाली चिंता और दबाव के अनुभव को दूर करने में सहायक सिद्ध हो सकती है और परीक्षार्थी को टाइमर के अनुरूप परीक्षा को भली प्रकार से समाप्त करने में भी सहायक हो सकती है। या यह भी कह सकते है की मॉक टेस्ट परीक्षार्थी को परीक्षा के दौरान टाइमर के प्रभाव का अनुभव करने की अनुमति देता है।
मॉक टेस्ट में दिए गए उत्तरों का विश्लेषण किया जा सकता है। यह विश्लेषण परीक्षार्थी को उन क्षेत्रों के बारे में बहुमूल्य जानकारी दे सकता है जिन पर परीक्षार्थी को ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। मॉक टेस्ट यह भी समझाने में सक्षम है कि प्रक्षार्थी ने हर प्रश्न के लिए कितना समय लिया और यह जानना एक प्रतियोगिता परीक्षा के लिए अत्यंत आवश्यक है। परीक्षार्थिओं को यह जानने में मदद करता है कि ऐसे कितने प्रश्न है जिन का कम समय में उत्तर दिया जा सकता है और प्रश्नों को हल करने ने शॉटकट तरीके सिखने में सहायक हो सकता है। मॉक टेस्ट परीक्षार्थिओं के विश्लेषणात्मक कौशल को बढ़ावा दे सकता है और परीक्षार्थिओं को उन प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अधिक समय देने में भी मददगार होगा जो प्रश्न परीक्षार्थिओं को कठिन प्रतीत होते हैं।
मॉक टेस्ट न केवल उम्मीदवारों को परीक्षा की रणनीति को समझने में ही सहायक होते हैं बल्कि मॉक टेस्ट उम्मीदवार को यह भी समझाने में सहायक होती है की आगामी परीक्षा के लिए उसकी तैयारी कैसी है। अर्थात मॉक टेस्ट उम्मीदवार को आने वाले प्रतियोगी परीक्षा के लिए अपनी तैयारी और प्रदर्शन के विश्लेषण के माध्यम से समय प्रबंधन के लिए सर्वोत्तम रणनीतियों के साथ प्रयोग करने में मदद करते हैं। अधिक मात्रा में मॉक टेस्ट का प्रयास करने से उम्मीदवार को यह समझने में मदद मिल सकती है कि उसको प्रश्न पत्र के प्रत्येक सेक्शन को पूरा करने में कितना समय लगता है और लगना चाहिए। इस जानकारी से उम्मीदवार एक ऐसी रणनीति बना सकते हैं कि वह प्रश्न पत्र के प्रत्येक सेक्शन के लिए कितना समय दे सकते हैं और देना चाहिए।
मॉक टेस्ट प्रतियोगी को यह समझने में काफी मदद कर सकते हैं कि उसकी परीक्षा के लिए तैयारी का क्या स्तर है और साथ साथ प्रतियोगी को यह भी समझने में काफी मदद कर सकते हैं कि परीक्षा पाठ्यक्रम के कुछ हिस्से पर अभी काम किया जाना बाकी है। अर्थात परीक्षा पाठ्यक्रम के किस अनुभाग पर अधिक ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है। मॉक टेस्ट यह समझ पाने मैं सक्षम है कि प्रश्न पत्र का कौन सा अनुभाग प्रतियोगी की ताकत है और कौन सा अनुभाग उसकी कमजोरी बन सकती है। मॉक टेस्ट से प्रतियोगी को यह भी जानने में मदद मिलती है कि परीक्षा में कौन से विषय अक्सर पूछे जाते है या परीक्षा में सवाल किस प्रकार से पूछे जा सकते है। एक बार जब प्रतियोगी को यह विचार मिल जाए, तो वह अपनी तैयारी में समय का बुद्धिमानी से उपयोग कर सकते हैं।
मॉक टेस्ट के निरंतर प्रयास से प्रतिस्पर्धी को परीक्षा से सम्बंधित पाठ्यक्रम के अध्ययन सामग्री को अच्छे से तैयार करने में मदद कर सकता है। मॉक टेस्ट के नियमित अभ्यास से अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों के उत्तर देने के लिए प्रतियोगी को कम समय में करने की नियोजित रणनीतियों को अधिक सुदृढ़ किया जा सकता है और निरंतर अभ्यास से प्रतियोगी का मस्तिष्क हर बार पुनः याद करने से बेहतर हो जाता है। मॉक टेस्ट के निरंतर अभ्यास से प्रतियोगी को वास्तविक परीक्षा के लिए फोकस और परिश्रम के साथ अच्छी तैयारी करने में मदद मिल सकती है
अक्सर ऐसा देखा गया है की परीक्षार्थी एग्जामोफोबिया के शिकार हो जाते है अर्थात परीक्षा के नाम से ही चिंताग्रस्त होने लगते है। तो फिर परीक्षा के समय उनकी चिंता और तनाव अपने चरम पर हो सकती है। यही तनाव और चिंता किसी भी प्रतियोगी के परीक्षा के नतीजे पर प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता हैं। अक्सर ऐसा देखा गया है कि अधिकांश प्रतियोगी परीक्षा के तनाव के कारण प्रश्न पत्र के एक बड़े हिस्से का जवाब देने से चूक जाते है जिसका असर उनके अंकों में देखने को मिल सकता हैं। अनुभवी लोगों का मानना है कि प्रतियोगी परीक्षाओं में दो या दो से अधिक बार असफल होने से अभ्यर्थी के आत्मविश्वास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। यह घबराहट और उच्च तनाव प्रतियोगिओं के एकाग्रता और याददाश्त पर असर डाल सकता है और परीक्षा के दौरान प्रतियोगिओं को खालीपन महसूस करा सकता है। लेकिन यही जो प्रतियोगी मॉक टेस्ट का बार बार अभ्यास करते है वह बहुत हद तक परीक्षा के पैटर्न से परिचित रहते है और उनको परीक्षा के दौरान तनाव काफी हद तक कम हो सकता है। मॉक टेस्ट का नियमित अभ्यास वास्तविक परीक्षाओं के लिए खुद को तैयार करने का सबसे अच्छा तरीका साबित हो सकता है।
मॉक टेस्ट का निरंतर अभ्यास और प्रयास एक उम्मीदवार के लिए वरदान साबित हो सकता है क्योंकि मॉक टेस्ट का निरंतर अभ्यास उम्मीदवार को अपनी परीक्षा की तैयारी में प्रगति को आसानी से अवलोकन करने में मदद करता है। मॉक टेस्ट के नियमित अभ्यास से उम्मीदवार को परीक्षा पैटर्न को अच्छी तरह से समझने में मदद मिलती है और तदनुसार उम्मीदवार को प्रश्न पत्र में पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने के लिए अपनी रणनीतियों के साथ प्रयोग करने और यह समझने के लिए पर्याप्त समय मिलता है कि कौन सी रणनीति प्रतियोगी के लिए काम करती है और कौन सी नहीं। भले ही प्रतियोगी मॉक टेस्ट में फेल हो जाएं, लेकिन प्रतियोगी यह समझ पाते हैं कि उनकी कमजोरियां क्या और कहां हैं। मॉक टेस्ट का नियमित अभ्यास एक उम्मीदवार को अपनी परीक्षा रणनीति को पुनर्व्यवस्थित करने में मदद कर सकता है और उज्ज्वल भविष्य के द्वार खोलने में भी मदद कर सकता है।
आज देश में ऐसे कई प्रशिक्षण संस्थान हैं जो पढ़ाई के साथ-साथ मॉक टेस्ट की प्रैक्टिस पर भी विशेष ध्यान देते हैं। इतना ही नहीं, आज कई ऑनलाइन और ऑफलाइन प्लेटफॉर्म हैं जो मॉक टेस्ट उपलब्ध कराते हैं। जिसमें हम भी एक हैं. मॉक टेस्ट सीरीज़ जेईई, एनईईटी, कैट, सीयूईटी, यूपीएससी, एसएससी और बैंक से संबंधित प्रतियोगी परीक्षाओं सहित देश में महत्वपूर्ण प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए एक यथार्थवादी प्रारूप और वास्तविक अनुभव प्रदान करने में सक्षम है। जिससे उम्मीदवारों को अपने कमजोर क्षेत्रों का विश्लेषण करने में मदद मिल सकती है।
इस लेख के माध्यम से हम उन सभी उम्मीदवारों को सलाह देना चाहते हैं जो प्रतियोगी परीक्षाओं को पास करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। उन्हें अधिक से अधिक मॉक टेस्ट का अभ्यास करना चाहिए। जो उम्मीदवारों में पर्याप्त आत्मविश्वास पैदा करने के साथ-साथ प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं को क्रैक करने के लिए सही रणनीति खोजने में मदद कर सकता है। मॉक टेस्ट की पूर्णता और निरंतर अभ्यास से उम्मीदवारों को आत्मविश्वास और मानसिक शांति के साथ किसी भी प्रतियोगी परीक्षा को पास करने का सबसे अच्छा मौका प्रदान कर सकता है।
हम सभी प्रतियोगियों के उज्ज्वल भविष्य की कामना करते हैं।