मध्यकालीन इतिहास (Medieval History)- पाठ्यक्रम

प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए मध्यकालीन इतिहास का पाठ्यक्रम

मध्यकालीन इतिहास पर विषयवार - पाठ्यक्रम

मध्यकालीन भारत

प्रारंभिक मध्यकालीन भारत के प्रमुख राजवंश (750-1200)।

  • प्रतिहार (8वीं से 10वीं शताब्दी)

  • पलास (8वीं से 11वीं शताब्दी)

  • त्रिपक्षीय संघर्ष

  • सेना (11वीं से 12वीं शताब्दी) ( The Senas)

  • राजपुत

  • पल्लव

  • चालुक्यों

  • राष्ट्रकूट

  • भारतीय सामंतवाद

  • प्रशासन

  • समाज और संस्कृति

  • अर्थव्यवस्था और व्यापार में गिरावट

चोल और अन्य दक्षिण भारतीय साम्राज्य

  • चोल शासक और राजनीतिक इतिहास

  • चोल प्रशासन

  • सामाजिक-आर्थिक जीवन

  • शिक्षा एवं साहित्य

  • चेर (9वीं से 12वीं शताब्दी)

  • यादव (12वीं से 13वीं शताब्दी)

  • दक्षिण-पूर्व एशिया से संपर्क

प्रारंभिक मुस्लिम आक्रमण

  • सिंध पर अरबों की विजय

  • महमूद का गजनी 

  • मुहम्मद गोरी

दिल्ली सल्तनत (1206-1526 ई.)

  • गुलाम वंश

  • खिलजी वंश (1290-1320 ई.)

  • तुगलक वंश (1320-1414 ई.)

  • प्रांतीय साम्राज्य और प्रतिरोध

  • भारतीय प्रमुखों द्वारा सैय्यद राजवंश

  • लोदी वंश

  • मंगोलों और अन्य तुर्कों द्वारा आक्रमण

  • प्रशासन

  • अर्थव्यवस्था

  • शहरीकरण

  • समाज और संस्कृति

  • वैज्ञानिक ज्ञान और कानूनी प्रणाली

  • सल्तनत के पतन की ओर ले जाने वाली चुनौतियाँ

उत्तर भारत में साम्राज्य के लिए संघर्ष (अफगान, राजपूत और मुगल)

  • इब्राहीम लोदी और बाबर के बीच संघर्ष

  • पानीपत की लड़ाई

  • पानीपत के युद्ध के बाद बाबर की समस्याएँ

  • राणासांगा से संघर्ष

  • पूर्वी क्षेत्रों और अफगानों की समस्याएँ

  • बाबर का योगदान और भारत में उसके आगमन का महत्व

  • हुमायूं और अफगान

  • हुमायूँ की प्रारंभिक गतिविधियाँ, और

  • बहादुर शाह के साथ संघर्ष

  • गुजरात अभियान

  • बंगाल अभियान, और शेर खान के साथ संघर्ष

उत्तर भारतीय साम्राज्य की स्थापना

  • बिहार की सामाजिक और राजनीतिक पृष्ठभूमि और शेरशाह का सत्ता में उदय

  • सूर साम्राज्य (1540-56)

  • शेरशाह का योगदान

  • टंकण (coinage)

  • वास्तुकला 

साम्राज्य का सुदृढ़ीकरण एवं विस्तार – अकबर

  • अफगानों से संघर्ष – हेमू

  • पानीपत की दूसरी लड़ाई

  • कुलीनता के साथ संघर्ष: बैरम खान की रीजेंसी; उज़्बेक सरदारों का विद्रोह

  • साम्राज्य का प्रारंभिक विस्तार (1560-76) – मालवा, गढ़-कटंगा, राजस्थान, गुजरात, पूर्वी भारत

  • राजपूतों के साथ संबंध – एक समग्र शासक वर्ग का विकास विद्रोह, और उत्तर पश्चिम में साम्राज्य का और विस्तार

अकबर के अधीन राज्य एवं सरकार

  • अकबर की आधिपत्य की अवधारणा

  • सरकार की संरचना, केंद्र और प्रांतीय-विकलाट, केंद्रीय मंत्रालय, प्रांतीय सरकार, जिला और स्थानीय सरकार

  • सरकार की कार्यप्रणाली – शासक, भूमि-राजस्व प्रणाली, दहसाला प्रणाली, मनसबदारी प्रणाली और सेना

अकबर के धार्मिक विचार

  • उलेमा और सामाजिक सुधार के साथ संबंध

  • प्रारंभिक चरण (1556-73)

  • दूसरा चरण (1573-80) – इबादत खाना

  • वाद-विवाद – महज़र – रूढ़िवादी के साथ उल्लंघन

  • उलमा – मदद-ए-माश अनुदान का पुनर्गठन

  • तीसरा या अंतिम चरण – दीन-ए-इलाही – राज्य नीतियां और धार्मिक सहिष्णुता

दक्कन और मुगल (1657 तक)

  • 1595 तक दक्कनी राज्य

  • मुगल दक्कन की ओर आगे बढ़े

  • बरार, खानदेश और अहमदनगर के कुछ हिस्सों पर मुगल विजय

  • मलिक अंबर का उदय, एकीकरण का मुगल प्रयास (1601-27)

  • अहमदनगर का विलोपन, मुगलों की स्वीकृति

  • बीजापुर और गोलकुंडा का आधिपत्य

  • शाहजहाँ और दक्कन (1636-57)

    दक्कनी राज्यों का

  • सांस्कृतिक योगदान

मुगलों की विदेश नीति

  • अकबर और उज़्बेक

  • कंधार का प्रश्न और ईरान के साथ संबंध

  • शाहजहाँ का बल्ख अभियान

  • मुग़ल-फ़ारसी संबंध-अंतिम चरण

सत्रहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में भारत

  • जहाँगीर का राज्यारोहण – उसकी प्रारंभिक कठिनाइयाँ

  • साम्राज्य का क्षेत्रीय सुदृढ़ीकरण और विस्तार – मेवाड़, पूर्वी भारत और कांगड़ा

  • नूरजहाँ, और नूरजहाँ ‘जुंटा’ शाहजहाँ के विद्रोह, और महाबत खान का तख्तापलट

  • जहाँगीर एक शासक के रूप में

  • सत्रहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में राज्य और धर्म

  • शाहजहाँ – साम्राज्य का सुदृढ़ीकरण और विस्तार

  • मुगल शासक वर्ग और मनसबदारी प्रणाली का विकास

मुगल साम्राज्य का चरमोत्कर्ष और संकट: मराठा और दक्कन

  • मराठों का उदय – शिवाजी का प्रारंभिक कैरियर

  • पुरंदर की संधि – आगरा यात्रा

  • औरंगजेब और दक्कनी राज्य (1658-87)

  • मराठा और दशक (1687-1707)

  • औरंगजेब और जागीरदारी संकट का आकलन

18वीं सदी में मराठा और अन्य भारतीय राज्य और समाज

  • मराठा और उनकी विस्तार नीति

  • मराठा और निज़ाम-उल-मुल्क

  • मराठा गुजरात और मालवा में आगे बढ़े

  • मराठा दोआब और पंजाब में आगे बढ़े:

  • प्रथम चरण (1741-52); दूसरा चरण (1752-61);

  • पानीपत की तीसरी लड़ाई

  • शिवाजी (1627-1680)

  • शिवाजी का प्रशासन

  • शिवाजी के उत्तराधिकारी

  • पेशवा (1713-1818)

  • अन्य भारतीय राज्य (भोंसले, गायकवाड, होलकर, सिंधिया)

  • 18वीं सदी में आर्थिक स्थिति, सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन

विजयनगर साम्राज्य

  • सूत्रों का कहना है

  • राजनीतिक इतिहास

  • प्रशासन

  • सामाजिक एवं सांस्कृतिक जीवन

  • आर्थिक स्थिति

  • बहमनी साम्राज्य के साथ संघर्ष

मध्यकाल में क्षेत्रीय राज्य

  • उत्तर और दक्षिण भारत के क्षेत्रीय राज्य (बहमनी, बंगाल, अवध, सिख, राजपूत राज्य, जाट, हैदराबाद मैसूर)

  • सामाजिक, सांस्कृतिक, आर्थिक  एवं सैन्य स्थितियाँ

अठारहवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध में उत्तरी भारत

  • बहादुर शाह प्रथम, और विज़ारत के लिए संघर्ष की शुरुआत

  • राजपूत मामले

  • मराठा और दक्कन – पार्टी संघर्ष का विस्तार

  • ‘नए’ विज़ारत के लिए संघर्ष: जुल्फिकार खान और जहांदार शाह (1712-13)

  • सैय्यद बंधुओं का ‘नए’ विज़ारत के लिए संघर्ष

  • सैय्यद ‘नया’ विज़ारत

  • एम. अमीन खान और निज़ाम-उल-मुल्क की विज़ारत

  • क्षेत्रीय राज्यों का उदय, भारत पर विदेशी आक्रमणों की शुरुआत (1725-48)

समाज-संरचना एवं विकास

  • ग्रामीण समाज

  • कस्बे और कस्बे का जीवन

  • कारीगर और मास्टर-शिल्पकार

  • औरत

  • नौकर और गुलाम

  • जीवन स्तर

  • शासक वर्ग – कुलीन वर्ग, ग्रामीण कुलीन वर्ग

  • मध्य स्तर

  • वाणिज्यिक वर्ग

आर्थिक जीवन-पैटर्न और संभावनाएँ

  • अंतर्देशीय व्यापार

  • विदेशी व्यापार – विदेशी व्यापार की भूमिका

  • कंपनियाँ – भारतीय व्यापारियों की स्थिति ओवर-लैंड व्यापार

  • मुगल राज्य और वाणिज्य

  • अठारहवीं शताब्दी के पूर्वार्ध के दौरान भारत की अर्थव्यवस्था की प्रवृत्ति और संभावनाएँ